ठोस
बच्चे
अकसर सड़क पर चलते ठोस पत्थरों
को उठाकर जेब में रख लेते हैं।
बचपन में पत्थरों से खेलने
की याद वयस्क मन में भावनाओं
का उफान लाती है। वयस्क पत्थरों
को सजाकर रखते हैं। इन पत्थरों
को देखकर कुछ याद आता है। खोया
हुआ प्यार,
भूल
चुकी छुअन।
यादें
भोली होती हैं। जंग-लड़ाई-मार,
ज़ात-मजहबों
से परे। पत्थर को हाथ पर रखते
हुए लगता है कि हर कोई जीवन
में ठोस रिश्ते चाहता है।
चुपचाप प्यार आता है ठोस।
(वागर्थ
-
2018)
No comments:
Post a Comment