'कादंबिनी' के ताज़ा अंक में प्रकाशित कविताएँ -
इनको मैंने हैदराबाद लिट फेस्ट में भी पढ़ा था। A quick translation follows after the Hindi original.
इनको मैंने हैदराबाद लिट फेस्ट में भी पढ़ा था। A quick translation follows after the Hindi original.
सपनों
में बर्फ होती
धरती
1
चारों
ओर
लोग
ठोस बर्फ बन गए हैं
सूरज
उन पर बरसते थक गया है
और
वे पिघलते नहीं हैं
सूरज
पास आकर उनसे टकराता है
और
मैं सोचता हूँ कि पिघल ही जाएँगे
कि
रोशनी उनके आरपार होगी
तो
वे यह सोच कर रोएँगे
कि
वे जिस जंग में शामिल हैं
उसकी
आग से धरती की सतह पर छायादार
खयाल जल गए हैं
सूरज
थक गया है
कि
वह छाया ओढ़ कर कहीं सो नहीं
पाता
सूरज
ने कई जंगें देखी हैं
उसे
पता है
कि
हर जंग से पहले और कई जंगें
होती हैं
कि
कहाँ शुरु कहाँ खत्म
इस
हिसाब में दुनिया भर में माँएँ
रोती हैं
चाहता
हूँ कि लोग माँ के आँसू देखें
लोगों
की नज़र बर्फ बन गई है।
2
मेरे
पास से बर्फ बन चुका एक आदमी
गुजर गया
मुझे
लगा कि वह पिघले तो मुझे ठंडा
पानी पाने को मिलेगा
उसके
पास बैठूँ तो मुझपर छाया उतर
आएगी
मैं
सोच रहा था कि वह बैठने देगा
या नहीं देगा
कि
उसने एक साथ अल्लाह ओ अकबर और
जै श्री राम कहा
मैंने
सोचा कि उसमें धर्मों की ठंडक
है
मन
हुआ कि उस जैसा बर्फ बन जाऊँ
बादल
सा उड़कर कहीं बरसूँ
पर
उसके अंदर तोप तलवारों से सजे
मंदिर और मस्जिद थे।
3
फिलहाल
इस सोच में हूँ कि और कब तक
रहूँगा
कोई
धर्माधिकारी इस उधेड़बुन से
मुझे निकाले
बतलाए
कि खुदा या ईश्वर जो भी ऊपर या
नीचे है
उसे
जंग के मुहावरे के अलावा और
क्या आता है
हो
सकता है कि मैं कुछ और दिन रह
जाऊँ
बर्फीले
लोगों के बीच गिलहरी या गौरैया
बन फुदकूँ
निहायत
बेवकूफ सा कुछ और दिन
समझौतापरस्ती
के जी लूँ
बर्फ
बने लोग कहाँ देखते हैं
कि
कैसा वर्चुअल जीवन ढो रहे हैं
दरख्त
जो
बचे हुए हैं जंग की लपेट से अब
तक
तूफानों
में कैसे बिना हिले-डुले
देखते हैं।
4
ऐसा
नहीं कि मैं सोया पड़ा था
नींद
में देखा कि पहाड़ों पर लगी
है आग
तो
तड़पता उठ खड़ा था
लोगों
को चेताया था
कि
यह आग तुम्हें बर्फ बना देगी
हालाँकि
अंदर तुम्हारे खौलेगा लावा
तह-दर-तह
अणुओं को चूरमचूर ध्वस्त करती
आग
बंजर
बना डालेगी धरती को
तुम्हारी
बर्फीली हड्डियों तले जम जाएगी
धरती की कंपन
जो
कुछ हरा है रंगो से भरा है
बेरंग
खंदकों में बदल जाएगा
सपनों
जैसी ही आग थी जागने के बाद।
5
जो
मारा गया उसका मुँह खुला था
आँखें
खुली थीं
बर्फ
बन चुके लोगों ने उनमें बर्फ
डाल दी थी
कहते
हैं कि कोई मजदूर था
घर
से दूर बीबी-बच्चों
की सोचता मेहनत करता था
कम
खाता था
कि
कभी लौटकर बचाए पैसों से बच्चों
को मिठाइयाँ खिलाएगा
जब
वह मरा तो उसकी जेब में से उसके
सपने निकल आए
सपने
उड़कर उसके बच्चों तक पहुँचे
बीबी
रोई यह देखकर कि सपनों में
बर्फ होती धरती का डर छिपा था
रोते-रोते उसे उल्टी हुई
इसके
सिवा वह कर भी क्या सकती थी
यहाँ
सूरज भी थक गया है
लोग बर्फ बन गए हैं।
a quick translation:
People have frozen into ice
a quick translation:
People have frozen into ice
People
have frozen into solid ice
The
sun is tired of pouring onto them
And
they do not melt
The
sun comes close and hits them
And
I think that they will surely melt
That
when light passes through them
They
will weep knowing of the war they have joined
That
it has charred comforting thoughts from the surface of Earth
The
sun is tired
That
it cannot sleep covered with shadows on it
The
sun has seen many wars
It
knows
That
many wars precede any one war
That
solving the riddles
Of
the beginnings and ends
Mothers
all over the world weep
I
want people to see the tears in mothers' eyes
People
have frozen eyesight.
2
A
man frozen into ice walked by me
I
felt that if he melts I will have cold water to drink
If
I sit next to him then a shade will descend upon me
As
I was wondering if he will let me sit next to him
He
said in one voice Allah-ho-Akbar and Jai-Shree-Rama
I
thought that he may possess the comfort of religions
I
felt like becoming ice-frozen like him
That
I could fly like a cloud and pour as rain
But
within him were temples and mosques decorated with swords and
cannons.
3
And
now I am wondering how long will I exist
I
wish that a religious authority gets me out of this fix
And
tell me that Khoda or God whoever lives up there or down here
What
else does he know other than metaphors of wars
May
be I will live a few more days
And
dance like a squirrel or a bird among ice-people
A
few more days of stupidity
I
may live with compromises
But
the ice-people never notice
the
virtual lives that the trees live
Those
that are still safely away from the throes of war
How
they watch without being perturbed.
4
Not
that I was caught unawares
When
in my dreams I saw the fire on the hills
I
was awake in agony
I
warned people
That
this fire will freeze you into ice
Even
though you will have within you boiling lava
The
fire will destroy depths within you
It
will dry the lands barren
Underneath
your frozen bones the earth will freeze
All
that is green and is full of colors
will
turn colorless and will become large pits.
And
when I was awake the fire was still razing just as in my dreams.
5
The
killed one had his mouth agape
His
eyes were wide open
The
ice-people had put ice in his orifices
They
say he was some worker
He
worked hard away from his family
Thinking
of his wife and children
He
ate less
So
that he could bring sweets for his children with his money saved
When
he died, dreams flew out of his pockets
The
dreams reached his children
The
wife wept that the dreams had the fear of freezing Earth hidden in
them
She
vomited while crying
What
else could she do anyway
Even
the sun is tired here
People
have turned into frozen ice.
Comments