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Location: हैदराबाद, तेलंगाना, India

बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Sunday, December 17, 2006

खिचड़ी





खिचड़ी



बत्तख था, साही भी, (व्याकरण को गोली मार)
बन गए बत्ताही जी, कौन जाने कैसे यार!

बगुला कहे कछुए से, "बल्ले-बल्ले मस्ती
कैसी बढ़िया चले रे, बगुछुआ दोस्ती!"

तोतामुँही छिपकली, बड़ी मुसीबत यार
कीड़े छोड माँग न बैठे, मिर्ची का आहार!


छुपी रुस्तम बकरी, चाल चली आखिर
बिच्छू की गर्दन जा चढ़ी, धड़ से मिला सिर!

जिराफ कहे साफ, न घूमूँ मैदानों में
टिड्डा लगे भला उसे, खोया है उड़ानों में!

गाय सोचे - ले ली ये कैसी बीमारी
पीछे पड़ गई मेरे कैसे मुर्गे की सवारी!

हाथील का हाल देखो, ह्वेल माँगे बहती धार
हाथी कहे - "जंगल का टेम है यार!"

बब्बर शेर बेचारा, सींग नहीं थे उसके
मिल गया जो हिरण, सींग आए सिर पे!

-सुकुमार राय
('आबोल ताबोल' की बीस कविताओं का अनुवाद
'अगड़म बगड़म' संभावना प्रकाशन, १९८९)
तस्वीरें सुकुमार राय की खुद की बनाई हैं।

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6 Comments:

Anonymous Anonymous said...

लाल्टू भाई,
पिपरिया के साथियों की कृपा से बरसों पहले आपके 'आबोल-ताबोल' के अनुवाद देखे थे.आशा है,रामगरुडेर छाना और कुमडो पोटाश भी हिन्दी वालों के लिए पेश करेंगे.

7:07 PM, December 17, 2006  
Blogger Udan Tashtari said...

बहुत बढ़िया, मजा आया.

9:52 PM, December 17, 2006  
Blogger Pratyaksha said...

वाह ! बहुत अच्छा

9:45 AM, December 18, 2006  
Blogger संजय बेंगाणी said...

बहुत मजेदार.

5:06 PM, December 18, 2006  
Anonymous Anonymous said...

Laltuji, Namaskar. apke blog pe 'aabol taabol' ke kuch hindi roopantaran dekhkar bahut khushee hui! asha hai ki mere dwaaraa inhen Indradhanush mein chhapne par aap bhee prasanna honge. aashaa hai sakushal hain.

anshumala

9:05 PM, March 16, 2007  
Blogger लाल्टू said...

anshumala ji,
नेकी और पूछ पूछ!
बेशक इस्तेमाल कीजिए! खुशी हमारी कि आपने याद किया! दुआ है कि खुशहाल होंगी!

12:14 PM, March 17, 2007  

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