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Location: हैदराबाद, तेलंगाना, India

बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Friday, January 20, 2006

भाषा

भाषा

एक आंदोलन छेड़ो
पापा ममी को
बाबू माँ बना दो

यह छेड़ो आंदोलन
गोलगप्पे की अंग्रेज़ी कोई न पूछे
कोई न कहे हुतात्मा चौक
फ्लोरा फाउंटेन को
परखनली शिशु को टेस्ट-ट्यूब बेबी बना दो

कहो
नहीं पढ़ेंगे अनुदैर्घ्य उत्क्रमणीय
शब्दों को छुओ कि उलट सकें वे बाजीगरों सरीके
जब नाचता हो कुछ उनमें लंबाई के पीछे पीछे
विज्ञान घर घर में बसा दो
परी भाषा बन कर आओ परिभाषा को कहला दो

यह छेड़ो आंदोलन
कि भाषा पंख पसार उड़ चले
शब्दों को बड़ा आस्माँ सजा दो।

(१९९२ - समकालीन भारतीय़ साहित्यः १९९४)

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