अमेरिकन कथाकार रे ब्रैडबरी की 1949 में लिखी जिस कहानी ('अगस्त 2026: आएँगी हल्की फुहारें') में मैंने सबसे पहले सेरा टीसडेल की कविता पढ़ी थी और जिसका अनुवाद 'साक्षात्कार' में आया था, आज अचानक उस पर बनी उजबेक निर्देशक नज़ीम तलाएज़ाएव की फिल्म दिख गई। रोचक है - यहाँ देख सकते हैं (अंग्रेज़ी सबटाइटिल्स हैं)-
https://www.youtube.com/watch?v=WfI69DC_jaw
जैसा मैंने पहले जिक्र किया है, कहानी में नाभिकीय जंग के बाद की स्थिति है और कोई ज़िंदा इंसान नहीं है, पर फिर भी कहानी इंसान के फितरत पर ज़बर्दस्त बयान है। रे ब्रैडबरी की कई रचनाओं पर फिल्में बनी हैं। उनके प्रति रूसी और अन्य फिल्मकारों के विचार यहाँ पढ़िए - http://www.openculture.com/2014/04/watch-soviet-animations-of-ray-bradbury-stories.html
विकी पर भी इस कहानी पर काफी सूचना है।
https://www.youtube.com/watch?v=WfI69DC_jaw
जैसा मैंने पहले जिक्र किया है, कहानी में नाभिकीय जंग के बाद की स्थिति है और कोई ज़िंदा इंसान नहीं है, पर फिर भी कहानी इंसान के फितरत पर ज़बर्दस्त बयान है। रे ब्रैडबरी की कई रचनाओं पर फिल्में बनी हैं। उनके प्रति रूसी और अन्य फिल्मकारों के विचार यहाँ पढ़िए - http://www.openculture.com/2014/04/watch-soviet-animations-of-ray-bradbury-stories.html
विकी पर भी इस कहानी पर काफी सूचना है।
Comments