अंग्रेज़ी बोलना और इंग्लिशवाला होना
टोनी
मॉरिसन इंग्लिशवालों के खिलाफ
लिखती है
इंग्लिशवाला
होता हूँ जब जाति-संघर्ष
की बात करते हुए मैं सिर्फ
'बड़े
कवियों' की
ही कविताएँ पढ़ता हूँ;
अंग्रेज़ी
बोलना और इंग्लिशवाला होना
दो अलग बातें हैं
इंग्लिशवाले
चिल्लाते हैं कि टोनी मॉरिसन
अंग्रेज़ी में लिखती है,
पर वह
इंग्लिशवालों के खिलाफ लिखती
है
मसलन
दुनिया के तमाम मुल्कों में
इंग्लिशवालों के खिलाफ जिहाद
छिड़ा है
इंग्लिशवाले
हिंदी,
स्वाहिली,
कोंकणी
या इस्पानी ही नहीं,
अंग्रेज़ी
में भी
बेताबी
से इस कोशिश में हैं कि हम उनकी
इंग्लिशवाला होने को पहचान
लें
वे
दुनिया की हर भाषा में हमें
सीख देते हैं कि अपनी भाषा में
हम कुछ पढ़े न पढ़ें
पर
उनकी अंग्रेज़ी ज़रूर पढ़ें
उनके
प्रति दया की भावना रखते हुए
उन्हें अनसुना करते हैं
इस
ज़माने में इंग्लिशवाले असली
ब्राह्मण हैं।
क्या
कीजे कि ब्राह्मण कौन और डोम
कौन – अपनी कीरत अपनी कीमत।
( बनास - 2014)
Labels: कविता, जनपक्ष, दमन और विरोध
2 Comments:
good, but then this comment is also in English
बेहतरीन
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