इसलिए कि सपने देखूँगी (स्वप्नो देखबो बोले)
दो साल पहले कभी मौसमी भौमिक (मोऊशूमी भोऊमीक) के इस गीत का अनुवाद करना शुरू किया था, अधूरा छोड़ कर भूल गया था। आज फिर देखा तो पूरा किया।
मैंने सुना है कि उस दिन तुम
सागर की लहरों पर चढ़
नीले पानी का उफ़क़ छू आए हो।
मैंने सुना है कि उस दिन तुम
खारी रेत के किनारे
बहुत दूर कहीं दूर पैदल घूम आए हो।
मैं कभी पानी में नहीं गई
कभी नीले में नहीं तैरी
कभी न टिकाई नज़र पंख फैैलाई गंगा-चिल्ली पर
तुम फिर जब समंदर में नहाने जाओ, मुझे साथ ले चलना
बोलो, ले जाओगे न
मैंने सुना है कि उस दिन तुम
तुम तुम तुम सब ने मिल कर
सभा की थी
और कि उस दिन तुम सब ने
कई उलझनों की, अनकही कई बातें
बातें की थीं कि क्यों यूँ ही सब दौड़ रहे हैं
एक ही बात दुहराते चले हैं
खुदी के साथ खुद के लिए ज़िंदा हैं
जब प्यार ही नहीं है
बस अकेलापन आ घेरता है
कहाँ जाऊँ कि सुकून मिले
कहाँ जाऊँ बोलो, कहाँ जाऊँ
मैंने सुना है कि तुम सब आज भी
सपने देखते हो, आज भी अफसाने लिखते हो
जी भर कर गीत गाते हो
इंसान ज़िंदा है कि मर रहा आज भी तुम्हारी फ़िक्र है
तुम्हारा प्यार आज भी गुलाब बन खिलता है
बेयकीन दिल लिए दोनों हाथ पसारे तुम्हारे पास आई हूँ
आँखों के गहर में मुझे
बस दिखती है ख़ला
रात को नींद में कोई सपना नहीं आता
इसलिए सपने देखने खुली आँखें आई हूँ
इसलिए तुम्हारे पास आकर दोनों हाथ पसारे हूँ
इसलिए सपना देखने खुली आँखें आई हूँ
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