मौसमी भौमिक के एक और गीत का अनुवाद :
बचपन के पहाड़ मुझे बुलाते हैं
हवाओं के झोंके माँ की महक ले आते हैं
शाम को लुकाछिपी बाँस के झुरमुट बीच
माँ की महक,
ठंडी हवाओं के झोंके माँ की महक ले आते हैं
बचपन के …
ठंड की दोपहर, धूप में लिपटी छोटी-सी दुपहरी की बेला
खेल-दौड़ में बिताए दिन, सुबह-दोपहर खेल-खेला
बचपन की धूप में लिपटी दोपहर बुलाती है
संतरे की महक,
हवा संतरे की महक लाती है
बचपन की …
शाम अँधेरे से पहले दोनों आँखें मूँद
बचपन के पहाड़ मैं लेती हूँ ढूँढ
अचानक मेरे पहाड़ को ढँक देती है गर्द की चादर
बचपन की राह खो जाती है कोलकाता के मोड़ पर
फिर भी बचपन फिर से बुलाता है
धूल धुँए में माँ की महक होती है
फिर भी बचपन फिर से बुलाता है
धूल धुँए में संतरे की महक होती है।
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