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रातों को गिनते थे दिन


खबर

उस आदमी को मार देंगे यह खबर पुरानी थी

उसे मारना ग़लत होगा यह खबर धीरे-धीरे बढ़ी

दिन-दिन खबर की रफ्तार बढ़ती चली

और तब अहसास होने लगा कि कोई खबर है

वरना आजकल आदमी को मारना

खबरों जैसी खबर कहाँ होती है

यह उस ऱफ्तार का असर था

जैसे कोई इंतज़ार करता है नए चाँद का

हम सब इंतज़ार में थे कि वह मार दिया जाएगा


जो दाढ़ी नहीं बनाते वे सोचने लगे कि दाढ़ी बना लेनी चाहिए

दाढ़ी बनाने वाले भूल गए कि उनको दाढ़ी बनानी है

अजीब हालात थे कि दिन गुजरते जा रहे थे

और हम रातों को गिनते थे दिन


जिन्हें दिखलाना था कि ग़लत होना है होकर रहेगा

वे इंतज़ार में थे

जो खौफ़ज़दा थे कि ग़लत होना है होकर रहेगा

वे इंतज़ार में थे


इस तरह एक दिन आया वह दिन

हम सोकर उठे तो घोषणा हुई कि उसे मारा जा रहा है

फिर वह वक्त गुजरा कि वह मार दिया गया

वह दिन गुजरा

जिन्हें दिखलाना था कि ग़लत होना है होकर रहेगा

वे सो गए

जो खौफ़ज़दा थे कि ग़लत होना है होकर रहेगा

वे सो गए।

-उद्भावना (2015)

Comments

लाल्टू का अन्दाज़, निख़ालिस
कमेण्ट देने में भी इतनी क़वायद है कि लहना सिंह भी चकरा गया

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