एक तो गर्मी, ऊपर से काम हैं कि फालतू के बढ़ते ही जाते हैं. मेरा घर ऊपरी मंज़िल पर है. यह सोच कर कि हैदराबाद में गर्मी थोड़े ही दिनों की होती है, न कूलर लिया न ए सी - रात भर नींद नहीं आती. कैम्पस के मकान लम्बे समय से अगले महीने में बनने वाले हैं. हमारी किस्मत यह कि अगला महीना ख़त्म ही नहीं होता. अब तीस जून को डी डे है - देखिये कि आगे होता क्या है.
बहरहाल एक पुरानी कविता:
बाहर अंदर
बाहर लू चलने को है
जो कमरे में बंद हैं किस्मत उनकी
कैद में ही सुकून
खूबसूरत सपनों में लू नहीं चलती
यह बात और कि कमरे में बंद
आदमी के सपने खूबसूरत नहीं होते
कोई है कि वक्त की कैद में है
बाहर लू चलने को है
(अलाव 2009; 'लोग ही चुनेंगे रंग' संग्रह में शामिल )
बहरहाल एक पुरानी कविता:
बाहर अंदर
बाहर लू चलने को है
जो कमरे में बंद हैं किस्मत उनकी
कैद में ही सुकून
खूबसूरत सपनों में लू नहीं चलती
यह बात और कि कमरे में बंद
आदमी के सपने खूबसूरत नहीं होते
कोई है कि वक्त की कैद में है
बाहर लू चलने को है
(अलाव 2009; 'लोग ही चुनेंगे रंग' संग्रह में शामिल )
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आदमी के सपने खूबसूरत नहीं होते