बिनायक सेन, बिनायक सेन, तुम्हारी दाढ़ी को क्या हुआ।
चलो एक तो अच्छी खबर आई। बिना दाढ़ी का बिनायक सेन जेल से छूटा।
पर जैसा कि हिंदू में आज कार्टून छपा है, फुर्र नहीं हो सकते- जमानत ही है। पर फुर्र होना भी क्यों? जनता का आदमी, जनता के बीच ही रहेगा। खतरनाक लोगों के बीच रहने की उसको आदत है।
बेशर्म हुक्मरान अपनी जिद पर हैं। अभी अभी बस्तर में एक गाँधी वादी संगठन का दफ्तर तोड़ा है। गरीबों की ओर से बोलने वाले की हर पार्टी दुश्मन। ऊपर से बस्तर में सरकार संघियों की है। वे लोग तालिबानी हैं, गलती से हिंदू पैदा हो गए हैं, इसलिए खुले आम कह नहीं सकते, केंद्र में फिर सरकार इनकी बन जाए तो खुले आम भी घोषणा कर दें, क्या पता। केंद्र में हारे तो मंगलूर में सीट जीतने की खुशी में मुसलमानों को पीटा। तो बिनायक न भी डरे, उसकी ओर से डर हम पर हावी है। सुनील ने भी आज इस पर लिखा है।
No comments:
Post a Comment