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Location: हैदराबाद, तेलंगाना, India

बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Friday, May 01, 2009

गाँधीवाद या नक्सलवाद, तुम सच्चाई से डरते हो

बिनायक सेन को जेल में भरने के पीछे सिर्फ संघी हठवादिता नहीं, नक्सलवाद का हौव्वा हर कोई इस्तेमाल करता है। प्रधानमंत्री श्री मनमोहन सिंह ने कई बार कहा है कि देश को सबसे बड़ा खतरा नक्सलवाद से है।

है कौन सा देश हे मनमोहन, जिसकी बातें करते हो
मेरा देश भी है मनमोहन, जिससे डरते रहते हो

यह सही कहा है तुमने कि खतरा बड़ा है देश को
यूँ अपने देश में मनमोहन, हमें कहाँ तुम गिनते हो

मेरे देश में हे मनमोहन, लड़ते हैं, मरते हैं लोग
तेरे देश में हे मनमोहन, यूँ ज़मज़म जेबें भरते हो

यहाँ बाढ़ है वहाँ है दंगा, ये मेरा तेरा देश मनोहर
मेरे देश में आ मनमोहन, डगर डगर फिसलते हो

तेरे देश में हे मनमोहन, किसको नींद है आती
डरावने सपनों से घबराते, क्यों खर्राटे भरते हो

गाँधीवाद या नक्सलवाद, तुम सच्चाई से डरते हो
भूखे पेटों को मनमोहन, क्यूँ गप्पों से यूँ भरते हो।

6 Comments:

Blogger श्यामल सुमन said...

किसी को पेट भरने को मयस्सर भी नहीं रोटी।
बहुत से लोग खा खाकर यहाँ बीमार होते हैं।।

यदि मुँह मोड़ भी लें तो ये दहशत खत्म होगा क्या?
ये चालें हैं शुतुरमर्गी यहाँ दीदार होते हैं।।

सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com

10:46 AM, May 01, 2009  
Anonymous कपिल said...

लाल्‍टू जी नमस्‍ते। जोरदार कविता।

12:29 PM, May 01, 2009  
Blogger दिनेशराय द्विवेदी said...

लाल्टू जी मई दिवस पर बधाई, आप सही कहते हैं।

3:16 PM, May 01, 2009  
Anonymous Anonymous said...

Dear Laltu da,

Bawal kivita likhi hai...bahut dinon ke baad rhythm men padhane ko mili.

Lallan avam Sunil

3:12 PM, May 02, 2009  
Blogger डॉ महेश सिन्हा said...

नक्सलवाद क्या हवा हवाई है , वास्तविकता नहीं ?

4:18 PM, May 02, 2009  
Blogger संदीप said...

This comment has been removed by the author.

7:39 PM, May 03, 2009  

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