Thursday, July 30, 2020

गढ़ी गई हिन्दी में खो जाता है विज्ञान

विज्ञान में हिन्दी

प्यार में गलबँहियाँ नहीं, प्रेमालिंगन करती है।

काला को कृष्ण, गड्ढे को गह्वर कहती है।

जैसे कृष्ण के मुख-गह्वर में समाई सारी कायनात

गढ़ी गई हिन्दी में खो जाता है विज्ञान।

आस-पास बथेरे काले गड्ढे हैं , ज़ुबान के, अदब के, इतिहास-भूगोल के,

(एक वैज्ञानिक ने तस्वीरें छापी हैं और वह एक स्त्री है

अँधेरे गड्ढों में फँसे लोग छानबीन में लगे हैं

कि किन मर्दों का काम इन तस्वीरों को बनाने में जुड़ा है)

ताज़िंदगी इनमें गिरे रहते हैं

एक दिन रोशनी आती है

कोई नहीं जानता फिर क्या होता है

इतिहास-भूगोल, विज्ञान, सब कुछ विलीन हो जाता है

भटकता रह जाता है प्यार और एक प्यारा काला-गड्ढा।

न बचता है विज्ञान और न हिन्दी बचती है। 
(2019)

1 comment:

Harold Fisher said...

Hi nice reading yoour blog