Wednesday, July 15, 2020

लेनर्ड कोहेन का बूगी स्ट्रीट

एक महीना हो गया - इसे फेसबुक पर पोस्ट किया था।

उन्माद के माहौल में हम प्यार की बातें करेंगे। साल भर से कोशिश में हूँ कि मेरे प्रिय गीतकार लेनर्ड कोहेन के इस गीत का तर्जुमा कर लूँ। मुश्किल है, अब तक जहाँ हूँ, पेश है -

ऐ रोशनी के ताज, साँवले यार
कभी न सोचा कि मिलेंगे एक बार
आ चूम लें, कि बस यही दो पल
लौटा हूँ मैं मीनाबाज़ार

एक घूँट जाम, यह नशीला धुँआ,
कि बस यही दो पल।
मैंने हर कोना सँवारा है
साज बजने को है बेकल

शहर से आते हैं बुलावे
महफिल कर रही है इंतज़ार
मैं वही हूँ, और जो हूँ,
लौटा हूँ मीनाबाज़ार

ऐ दिलरुबा, मुझे याद हैं
वो खुशियाँ
वो साथ नहाना
वो झरना वो दरिया

तेरे हुस्न का जादू,
मेरे हाथों में तेरे पाँव तर
वो तेरा मुझे ले चलना
जवाँ मैं चला था प्रीतनगर

ऐ रोशनी के ताज, साँवले यार।
कभी न सोचा कि मिलेंगे एक बार
आ चूम लें, कि बस यही दो पल
लौटा हूँ मैं मीनाबाज़ार

ऐ दुनिया, फ़िक्र न कर
हवा में फुनगे हैं हम
प्यार ही कायनात है
प्यार में फना हैं हम

रगों में बहते ख़ूँ के नक्श
दरबदर बयां हैं
कोई बताए तो हमें
कि मीनाबाज़ार क्या है

ऐ रोशनी के ताज, साँवले यार
कभी न सोचा कि मिलेंगे एक बार
आ चूम लें, कि बस यही दो पल
लौटा हूँ मैं मीनाबाज़ार

एक घूँट जाम, यह नशीला धुँआ,
कि बस यही दो पल।
मैंने हर कोना सँवारा है
साज बजने को है बेकल।

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