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दो कविताएँ

प्रश्नकाल के कवि से मिलना

उसे कई बड़ी कविताओं के लिए जाना गया
मैं निहायत छोटी सी कविता प्रश्नकाल से मोहित था
ऐसे मुल्क में पला-बढ़ा जहाँ वक्त ने सवालों की भरमार
पेश की और जवाब नदारद। जब उससे मिला तो कोई खास नहीं,
पर कभी न भूलने वाला प्रसंग बन गया।
ख़तो-किताबत में पहले से ही
उसे मुझसे कविता से अलग भी प्यार-सा था
वह बूढ़ा हो चुका था
पर बच्चों सी शरारती अदाएँ थीं उसमें।
सादी पर कलात्मक पोशाक में उसकी जेब में
किस्से छिपे थे, जिसे चाव से सुनाता वह बीच-बीच
में होंठ टेढ़े-से कर मुस्कराता। आम सा लगता वह आदमी कितना
खास था यह जानने के लिए तुम्हें पूछने होंगे प्रश्न और
उस जैसा तड़पना होगा इस आदमखोर तंत्रों के जमाने में।
कुछ और भी बातें की थीं मैंने
जैसे दिल्ली और हैदराबाद के मौसम पर और उम्र के साथ
बढ़ती जिस्मानी तकलीफों पर।
आखिर कभी उसे छोड़कर लौटना ही था।
फिर हर रात सपना देखना था
'पूछो कि क्यों नहीं है पूछने वालों की सूची में तुम्हारा नाम'
कहता वह। (इंद्रप्रस्थ भारती - 2020)

अजीब पहेली है

सदियों तक उबालते हैं
नस्ल, मजहब और जात के सालन
बेस्वाद या कि ज़हर का स्वाद चखते हैं बार-बार
सूली, फाँसी, बम-गोली, तरीके ईजाद किए हैं बेशुमार

बच्चों को पढ़ाते हैं सरहदों के झूठे पाठ
इतिहास, भूगोल के झूठ
गणित और विज्ञान को धुँधला कर देते हैं
बच्चे चाँद-सूरज को बाँटने की मुहिम में शामिल होते हैं

सीना-पीटू नगाड़े सुनकर नाचते हैं
प्रेम की मिठास छोड़कर ज़हरीले पित्त की कड़वाहट चुनते हैं
धरती पर भभकती बू वाली उल्टियाँ बहती हैं
आसानी से जिस्मोज़हन में घर कर जाती है

अजीब पहेली है। (वागर्थ -2020)

What a Riddle

For centuries we cook them
Sauces made of race, religion and caste
Of no taste or tasting like poison, try it again
with countless means like the cross, the hanging and firearms, invented

Teach our children falsehoods on borders
The lies of history and geography
spread mist on mathematics and science
And children join the battle to partition the sun and the moon

We dance to the rhythm of chest-beating drums
Choose the bitter poisonous bile over the sweetness of love
Stinking vomit flowing over the Earth
settles deep in our mind and body

What a riddle.

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