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17. ऐसी ही कविता लिखनी है मुझे


मेरे पूर्वसूरी कविता लिखते थे

मैंने कोशिश की

और जाना कि

जिस अँधेरे में हूँ वहाँ

कविता नहीं होती।

गुस्से में हाथ आई सभी कविता की किताबें

फाड़ कर आग में जला दीं


जलते कागज में से कोई आवाज़

-आ कह जाती

कि जहाँ प्यार नहीं

वहाँ कविता नहीं होती।

मैंने कल्पना में दुनिया की

सबसे खूबसूरत औरत को देखने की कोशिश की।

हड्डियों का ढाँचा वह आती

होंठों में काला पड़ा ख़ून

कोशिश की कि उसे मुस्कराता देखूँ

होंठ खुलते दिखते उसके विषैले दाँत

वह चबाती कागज़ के पन्ने

जिन पर बेहतरीन कविताएँ लिखी होतीं।

सोचा कि उसके उन्माद पर कविता लिखूँगा

कपड़े उतार कर

उसके वक्ष नितंब देखूँगा

पर उसका शरीर काँटेदार रोंओं से भरा था


एकबारगी चीखे बिना नहीं रहा गया

कि ऐसी ही कविता लिखनी है मुझे।

Those who came before me wrote poems

I tried

And learned that

The darknss in which I dwell

Does not allow poetry.

I was angry and I burnt

All the books that I could find.


A voice kept reaching me 

From the burning papers

That poetry does not grow

Where Love does not exist.

I tried to imagine

The prettiest woman in the world

She appeared, a skeleton

With dark blood on her lips

I tried to see her smile

Venom fangs appeared as she opened her lips

She ate sheets of paper

With poems written on them.

Then I thought of writing a poem on her insanity

That I would take her clothes off and

And see her breasts and her behinds

But her body was filled with thorny hair


And for once I could not help screaming

That this is the poetry I write.

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