इधर
कुछ समय से मेरी ज़ुबान पर
जिन्हें
पहले हराम कहता था ऐसे अल्फाज़
अनचाहे
ही आते हैं
कत्ल
और दंगा-फसाद
ही नहीं
खारिज
किसी दुनिया से वापिस आए अनेकों
लफ्ज़
रस-बस
गए हैं ज़ुबान पर
याद
है कि अपने आका तक
पहुँचने
के लिए कभी अपने मातहतों से
कहा था कि
कातिलों
को कुछ देर खेल खेल-लेने
दो
आज
तक इक्के-दुक्के
लोग कोशिश में हैं
कि
अंतरिक्ष में ध्वनि की गति
से ज्यादा तेजी से दौड़ कर
उन
लफ्ज़ों को पकड़ लें
भोले
बेचारों को समझ नहीं आई है
कि
अंतरिक्ष में हर दिशा में
खड़े
हैं कराल द्वारपाल
क्षितिज
झुका बैठा मेरे आका के पैरों
पर
नवजात
बच्चों के माथों पर चिरंतन
दासता का भवितव्य
लिखा
जा रहा है
भूल
जाओ कि कभी तुमने सपनों में
फूल देखे थे
तुम
सिर्फ उत्पाद हो
और-और
उत्पाद का स्रोत बन जीते रहना
तुम्हारी नियति है।
For
a while now words that I hated earlier
Come
out of my mouth
Without
my asking;
Not
just murder and mayhem
Many
words from some world rejected
Are
part of my vocabulary
I
remember that to conect with my master
I
had told my subordinates
That
the killers be allowed to play the game for a while
There
are a few who to this day
Think
of flying with a speed greater than of sound
And
catching the words
Poor
fellows do not realise
That
in all directions in space
There
stand the gatekeeping monsters
The
horizons bow to my master
And
the newly born are being destined
For
slavery forever.
Forget
it that you dreamt of flowers once
You
are a mere product
It
is your destiny that you will live to be source of even newer
products.
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