दो दिनों के लिए दफ्तरी काम से कोलकाता गया तो टी वी पर वाद विवाद का स्तर देख कर आश्वस्त हुआ कि मेरा शहर अभी भी अपना स्तर बनाए हुए है। फिर भी कुछ न कुछ ऐसी बातें सुनीं जो बिलकुल गलत थीं और आश्चर्य हुआ कि समझदार लोग ऐसी बातें कैसे कर सकते हैं। एक उदहारण के बतौर बच्चों को अंग्रेज़ी भाषा कब से सिखाई जाए इस पर शांवोली मित्र का बयान सुन कर दंग रह गया। शांवोली बांग्ला रंगमंच की बाघराना प्रतिष्ठित शख्सियत हैं और हाल में कई राजनैतिक मुद्दों पर सजग नागरिक की भूमिका में चर्चित हुई हैं। उनका कहना था कि जैसे कुछ मुल्कों में बच्चों को कम उम्र में ही पानी में उतार दिया जाता है ताकि वे जल्दी तैरने लग जाएं, इसी तरह भाषा सीखने के लिए किसी उम्र की प्रतीक्षा नहीं करनी चाहिए। एक और तर्क था कि वे ऐसे कई परिवारों को जानती हैं जहां परिवार में विभिन्न भाषा के लोग होने की वजह से बच्चे को छोटी उम्र से ही एकाधिक भाषा सीखने में कोई दिक्कत नहीं हुई। मुझे सचमुच आश्चर्य हुआ कि न केवल शांवोली देश के बहुसंख्यक बच्चों की शिक्षा संबंधी समस्याओं से पूरी तरह नावाकिफ हैं, उनमें इतना घमंड भी है कि विश्व भर के शिक्षाविदों की बच्चों की शिक्षा के बारे में जो समझ है उसे वे पूरी तरह नकार रही हैं!बहरहाल, ऐसे ही वापस लौट कर राष्ट्रीय टी वी चैनेल पर मधु किश्वर को हरयाणा में जाति समाज से जुडी हत्याओं के बारे में बोलते हुए सुन कर लगा। पुरुषों की कायरता के बारे में उनका बयान ठीक लगा पर यह कहना कि खाप पंचायत का हरयाणा की ह्त्या की घटनाओं से कुछ लेना देना नहीं, यह सुनकर अवाक रह गया। काश कि ऐसा ही होता। उनका एक तर्क था कि हज़ारों सालों से चलती आ रही खाप पंचायत व्यवस्था (उन्होंने इसे सिविल सोसाइटी का नाम दिया) की परम्परा को हमें बुरा नहीं कहना चाहिए। हत्यारा खाप का सदस्य है मात्र। और कुछ नहीं। बढ़िया। धन्यवाद यह जान कर कि हरयाणा के शहरों में खाप व्यवस्था के खिलाफ लड़ रहे साथियों (जिनमें कई स्वयं जाट है) की जानकारी भरोसे योग्य नहीं है और हूडा की सरकार जो कह रही है वही ठीक है। और क्या कहें।
वैसे नकली बातों से अलग सचमुच की खुशी तो बिनायक के छूटने की है। पूरी छूट भी निश्चित है। सही है कि अभी अनगिनत और बिनायक सींखचों के पीछे हैं। संघर्ष जारी है।
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