My Photo
Name:
Location: हैदराबाद, तेलंगाना, India

बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Friday, January 14, 2011

शब्द स्वलीन बिलकुल गलत


हाल में राष्ट्रीय मस्तिष्क शोध संस्था से आए मैथ्यू बेल्मोंट का बहुत रोचक और बढ़िया भाषण सुना। मैथ्यू मनोवैज्ञानिक विशेषज्ञ है। उसका शोध कार्य ऑटिज्म या स्वलीनता को लेकर है। उस दिन उसके भाषण का सार यह था कि ऐसे वीडिओ गेम बनाए जा सकते हैं जिनके जरिए मस्तिष्क की प्रक्रियाओं को समझा जा सकता है। मुझे सबसे रोचक बात यह लगी कि शुरुआत में ही उसने बतलाया कि औटिस्टिक बच्चे दरअसल स्वलीन होते नहीं। वे बड़े ध्यान से दूसरों को देखते हैं और यह समझने की कोशिश करते हैं कि जो कुछ उनके आस पास हो रहा है उन घटनाओं के पीछे कैसे नियम हैं यानी कि जो कुछ जैसा हो रहा है वह क्यों हो रहा है। इसके पहले कि वह अपनी समझ को कार्यान्वित कर दूसरों के बीच सामाजिक तौर पर शामिल हो सकें, घटनाएं बदलती रहती हैं और वह अगली घटना को समझने की कोशिश में लग जाते हैं। यानी कि वह वाकई स्वलीन नहीं होते। बाद में मैंने ऑटिज्म का हिंदी शब्द ढूंढा तो पाया स्वलीनता। अंग्रेज़ी शब्द का मूल ढूंढा तो पाया कि यह ग्रीक भाषा के आउटोस या स्व और इज़्मोस या अवस्था से आया है। पर मैथ्यू के अनुसार यह अर्थ तो सही नहीं बैठता। और हिंदी में तो बिलकुल सरल सा शब्द स्वलीन है जो बिलकुल ही गलत बैठता है।
अपनी सीमित समझ से हम किस तरह शब्दों की दुनिया रचते हैं, यह इसका उदाहरण है। कालांतर में शब्द अपने अर्थों में पूर्वाग्रहों को और भी मजबूत करते जाते हैं। मानव की सोच और समझ की यह अजीब विडंबना है।
********
नया साल व्याख्यानों की तैयारी में बीता। पहले हफ्ते दिल्ली बरेली घूम आया और हैदराबाद लौटते ही ठण्ड की मार से बचने का मज़ा। इस बीच बिनायक सेन की क़ैद के खिलाफ चारों ओर विरोध तीखा हुआ है। रुकेगी कब तलक आवाज़े आदम हम भी देखेंगे।

1 Comments:

Blogger मृत्युंजय said...

क्या इस स्वलीन की जगह आत्मलीन नहीं हो सकता?

8:33 AM, January 15, 2011  

Post a Comment

<< Home