अफलातून, सुकुमार राय की एक और कविता (आबोल ताबोल से):
बढ़िया रे बढ़िया!
भाई जी! देखा दूर तक सोचकर -
इस दुनिया में सबकुछ बढ़िया,
असली बढ़िया नकली बढ़िया,
सस्ता बढ़िया महँगा बढ़िया,
तुम भी बढ़िया, मैं भी बढ़िया,
छंद यहाँ गीतों के बढ़िया
गंध यहाँ फूलों की बढ़िया,
मेघ लिपा आस्माँ बढ़िया,
लहर नचाती हवा है बढ़िया,
गर्मी बढ़िया बरखा बढ़िया,
काला बढ़िया गोरा बढ़िया,
पुलाव बढ़िया कुर्मा बढ़िया,
परवल-मच्छि मसाला बढ़िया,
कच्चा बढ़िया पक्का बढ़िया,
सीधा बढ़िया टेढा बढ़िया,
ढोल बढ़िया घंटा बढ़िया,
टिक्की बढ़िया गंजा बढ़िया,
ठेला बढ़िया ठेलना बढ़िया,
ताजी पूड़ी बेलना बढ़िया,
ताईं ताईं तुक सुनना बढ़िया,
सेमल की रुई बुनना बढ़िया,
ठंडे जल में नहाना बढ़िया,
एक चीज है सबसे बढ़िया -
पाँवरोटी और गुड़ शक्कर।
बढ़िया रे बढ़िया!
भाई जी! देखा दूर तक सोचकर -
इस दुनिया में सबकुछ बढ़िया,
असली बढ़िया नकली बढ़िया,
सस्ता बढ़िया महँगा बढ़िया,
तुम भी बढ़िया, मैं भी बढ़िया,
छंद यहाँ गीतों के बढ़िया
गंध यहाँ फूलों की बढ़िया,
मेघ लिपा आस्माँ बढ़िया,
लहर नचाती हवा है बढ़िया,
गर्मी बढ़िया बरखा बढ़िया,
काला बढ़िया गोरा बढ़िया,
पुलाव बढ़िया कुर्मा बढ़िया,
परवल-मच्छि मसाला बढ़िया,
कच्चा बढ़िया पक्का बढ़िया,
सीधा बढ़िया टेढा बढ़िया,
ढोल बढ़िया घंटा बढ़िया,
टिक्की बढ़िया गंजा बढ़िया,
ठेला बढ़िया ठेलना बढ़िया,
ताजी पूड़ी बेलना बढ़िया,
ताईं ताईं तुक सुनना बढ़िया,
सेमल की रुई बुनना बढ़िया,
ठंडे जल में नहाना बढ़िया,
एक चीज है सबसे बढ़िया -
पाँवरोटी और गुड़ शक्कर।
Comments