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20. बम लहरी बम लहरी नाचें दरबारी

हुकूमत का नशा मुझपर है सवार हर पल
अकेला
खुद को गलबँहियों में लेता
जैसे कोई नाटक की कला हो सीखता
सालों से इतिहास की गति के खिलाफ जद्दोजहद की
एक से एक हसीन नज़ारे करता रहा दरकिनार
एक ही ध्येय था
बचपन से बुनी अंधकार की चादर उड़ेल दूँ
ढक लूँ धरती का हर चप्पा इस तरह 
कि कहीं भी खालिस ज़मीं के टुकड़े पर चलना न पड़े मुझे

सड़कें धधक उठें जब चलूँ उन पर
दुरुस्त दिमाग जल कर राख हो जाएँ
मेरी चाल में हों तांडव के ताल
जाएँ खो जाएँ तबाह हो जाएँ
बचपन के दोस्त, सखा सब
मेरे अमात्य फरमान जारी करें जब
नाचता रहूँ नशे में धा धिन
मेरा नशा आच्छन्न करे सैंकड़ों को
सामूहिक थापों में आवाज़ें घनघोर घरघराती
बम लहरी बम लहरी नाचें दरबारी

खुद को गलबँहियों में लिए
बन जाऊँ घना काला बादल।

I am high on power every moment
I alone
Embracing myself
As if learning the craft of performance
For years I have struggled against the trajectories of history
I ignored pretty sights one after another
I had a singular target
That I must spread the sheet of darkness that I am weaving since my childhood
I must cover every inch on Earth
That I must not walk on any spot that remains from Nature

The roads that I walk on must glow in intense heat
Healthy minds must burn into ashes
My dance must generate the apocalypse beats
All must go,
My childhood friends, my loved ones, must annihilate
When my minister issues the ordinance
While I dance high onto the beats
My frenzy must pass on to millions
Dark and deep murmurs
in tune with collective beats
Da dum da da dum da da dum my followers dancing

Embracing myself in my own arms
I must become the darkest cloud in the sky.

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