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बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Tuesday, December 29, 2015

जाना और आना

पंकज सिंह मुझसे बहुत स्नेह करते थे। 2004 में दूसरा कविता संग्रह 'डायरी में तेईस अक्तूबर' आया तो इंडिया टूडे के लिए समीक्षा की थी। एक बार कोई दस साल पहले उनके घर गया था। मेरी बहुत सारी अधपकी कविताएँ छोड़ आया था। पिछली बार शायद किसी मीटिंग में मिले थे तो कह रहे थे कि उपन्यास पर काम कर रहे हैं। दूर होने की वजह से अक्सर अपने प्रिय लेखक कवियों से मिल नहीं पाता हूँ, और फिर अचानक एक दिन चले जाने की खबर आती है।
बहरहाल, मेरा छठा कविता संग्रह 'कोई लकीर सच नहीं होती' वाग्देवी प्रकाशन, बीकानेर से आ गया है। राजेश जोशी जी ने ब्लर्ब लिखा है।

आवरण में बीच का चित्र बेटी शाना का आठ साल पहले का बनाया है।

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2 Comments:

Blogger कविता रावत said...

कविता संग्रह 'कोई लकीर सच नहीं होती' के प्रकाशन हेतु हार्दिक शुभकामनायें!

1:52 PM, December 30, 2015  
Blogger मसिजीवी said...

शुभकामनाएं नए संग्रह के लिए लाल्‍टू ।

कह नहीं सकता क्‍यों किंतु आज बहुत याद आ रहे थे आप... खोजकर वापस आया और आपको पढ़ रहा हूँ। आशा है आंनद से हैं।

11:27 PM, December 30, 2015  

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