अरे!
15
जुलाई
तक मकान बन जाएगा
मेरी
नज़रों में सितंबर अक्तूबर
का
मैं हूँ
निचली
मंज़िल के नए मकान में
खिड़की
से देख रहा हूँ
ऊपरी
मंज़िल वाले इस मकान
में
जून के मैं को
पंखा
गर्म हवा के थपेड़े मार रहा
है
खिड़की
बंद हो या खुली
हवा
की आवाज नहीं बदलेगी
तपती
ईंटों की दीवारें समवेत गाती
रहेंगी
जून
का मैं थोड़ी देर आराम करना
चाहता हूँ
जग
का पानी उत्तेजित अणुओं का
धर्म जताता है
प्यास
पानी
के अणुओं को अपनाती है
स्नायु
के झंकार जून के खयालों में
गुनगुनाते
हैं
तपती
धूप में काम कर रहे ओ आधे दर्जन
हाथ!
ग़र्म
ईंट उठा रहे हाथ
मेरी
सितंबर-अक्तूबर की ज़िंदगी
के लिए तुम्हें धन्यवाद।
दिखता है बंद खिड़की से
घुँघराले
बालों वाला बच्चा
बहती लू में खेल रहा है
खुली
खिड़की से मेरी आवाज दौड़ती
है
सुनो
अरे!
बच्चे
को धूप से हटा लो।
(रविवार
डाट काम :
2011; 'नहा कर नहीं लौटा है बुद्ध' संग्रह में संकलित)
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पानी के अणुओं को अपनाती है