कंप्यूटर
कंप्यूटर
स्मृति
का एक टुकड़ा इस कार्ड में है
दूसरा उसमें
एक टुकड़ा यह विकल्प देता है
कि स्मृति को हम
बचपन जवानी या बुढ़ापे में बाँटें
या बाँटें लिखने और पढ़ने के कौशल में
या देखने सूँघने या चखने की आदत में
बाँटने के अलग अलग विकल्पों की उलझन से
हमें उबारता है एक और टुकड़ा
हम बटनों पर बैठे हैं
निर्जीव स्मृतियाँ अब चमत्कार नहीं
हमारी उँगलियों के स्पर्श से पैदा करती हैं
स्पर्धाएँ
स्पर्धाओं में हार जीत
अहं, रक्तचाप
एक टुकड़ा
बुझते ही
बुझता है
एक टुकड़ा प्यार
चेतना और कंप्यूटर
में तुलना
चलती लगातार।
१९९५ (उत्तर प्रदेश(पत्रिका)-मार्च १९९७)
स्मृति
का एक टुकड़ा इस कार्ड में है
दूसरा उसमें
एक टुकड़ा यह विकल्प देता है
कि स्मृति को हम
बचपन जवानी या बुढ़ापे में बाँटें
या बाँटें लिखने और पढ़ने के कौशल में
या देखने सूँघने या चखने की आदत में
बाँटने के अलग अलग विकल्पों की उलझन से
हमें उबारता है एक और टुकड़ा
हम बटनों पर बैठे हैं
निर्जीव स्मृतियाँ अब चमत्कार नहीं
हमारी उँगलियों के स्पर्श से पैदा करती हैं
स्पर्धाएँ
स्पर्धाओं में हार जीत
अहं, रक्तचाप
एक टुकड़ा
बुझते ही
बुझता है
एक टुकड़ा प्यार
चेतना और कंप्यूटर
में तुलना
चलती लगातार।
१९९५ (उत्तर प्रदेश(पत्रिका)-मार्च १९९७)
Labels: कविता
0 Comments:
Post a Comment
<< Home