Tuesday, July 28, 2020

शाना की बचपन की कविता

जल्दी ही वह तीस की हो जाएगी। इस रंजिश के साथ कि आज भी उसकी आठ साल की उम्र में लिखी यही कविता मुझे सबसे ज्यादा क्यों पसंद है।

किनारा

लहरों
के पार

दूर

मैंने
दूर नज़र फैलाई

रेतीले
किनारे पर

पत्थर
कोयले की तरह चमकते हैं

धूप
में ग़र्मी है

मुझे
नहीं एहसास

मुझे
तीखे कंकड़ों का भी नहीं अहसास

खड़ी
हूँ बस

ज़मीं
का विस्तार देखती हूँ।
             - शाना बुल्हान हेडॉक (1999- 8 वर्ष) [अनुवाद - लाल्टू़]

The Beach

I looked over the waves
Far Far away
Along the sandy coast
The stones gleam like coal
The sun is so hot
but I don't feel it
Nor the sharp rocks
I just stand there
looking into a vast land.

- Shana Bulhan Haydock (4 August 1999)

No comments: