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क्या मैं विक्षोभवादी हूँ?

क्या मैं विक्षोभवादी हूँ?

मैं माँग करता हूँ हवा से पानी से कि
उनमें घुलते मिलते रंग गंध हों
और कोई कह रहा है कि मैं विक्षोभवादी हूँ

मुल्क में किसी भी समझदार व्यक्ति को पुकारा जाता है मार्क्सवादी कहकर
दाल रोटी ज्यादा ज़रुरी है जीवन के लिए
जानना मुश्किल कि मार्क्स कितना समझदार था

क्या मैं समझदार हूँ?

वैसे विक्षोभवादी होने में क्या बुरा है?
सोचो तो रंग अच्छा है
मार्क्सवादी भी कहलाना अच्छी बात है
बशर्ते यह बात समझ में आ जाए कि
इसका मतलब गाँधीजी का अपमान नहीं है
हालांकि इसका मतलब यह ज़रुर है
हम गाँधी के साथ खड़े हो
जनता जनार्दन की जय कहते हैं

चलो तय हुआ कि मैं विक्षोभवादी हूँ
प्रबुद्ध जन तालियाँ बजाएँ वक्ता की बातें सुन
इसी बीच एक वक्ता को यह चिंता है कि दूसरा
उसका पर्चा छापेगा या नहीं

मैं विक्षोभवादी हूँ
मैं बाबा को याद करता गाता हूँ
'जली ठूँठ पर बैठ कर गई कोकिला कूक
बाल ना बाँका कर सकी शासन की बंदूक'।

Comments

anilpandey said…
vहं हं हं हं साहब शायद इसी को तो कहते है , हमारे समाज में विक्षोभवादी । सुंदर रचना ।

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