आज मैंने मकान के पीछे के जंगल में एक नेवला देखा। छत में खड़ा शाम की आखिरी उछल-कूद मचाती लंबी पूँछ वाली मैनाएँ देख रहा था, तभी उसे देखा। चलते चलते बीच बीच में जैसा खतरा भाँपते हुए रुक रहा था। मैं छत से नीचे उतर बेटी को बुलाने आया। वह कंप्यूटर पर फिल्म देख रही थी। मैं वापस ऊपर गया। तब तक वह बहुत दूर पहुँच गया था और मेरे उसे ढूँढ निकालते ही वह झट से एक गड्ढे में घुस गया। तभी कहीं से वहाँ एक मोर आ गया। मुझे आश्चर्य हुआ, क्योंकि यहाँ पहला मोर देखा। लगा जैसे ये सब यहीं थे और मुझे पता ही नहीं था। इतनी जानें मेरे पास और मैं खुद को अकेला ही समझता रहा।
पिछले कई हफ्तों से लगातार हो रही निठारी की दर्दनाक वारदात पर लिखने की कोशिश करते हुए लिख न पा रहा था। हर बार जैसे अंदर से पित्त भरा गुबार उमड़ आता था।
इस नेवले की चाल देख कर लिखने का मन हो आया।
कई साल पहले मध्य प्रदेश में हरदा शहर के सिंधी कालोनी में एक मकान में कुछ समय के लिए ठहरे थे। वहाँ एक नेवला अक्सर घर के अंदर आ जाता था। मेरी पत्नी को समझ में नहीं आ रहा था कि यह नेवला क्या बला है - तो एक दिन मैं कह ही रहा था और उसने पूछा कि आखिर कैसा होता है यह नेवला और तभी श्रीमान साक्षात् खिड़की पर आ मौजूद हुए। आज वह घटना याद हो आई।
पिछले कई हफ्तों से लगातार हो रही निठारी की दर्दनाक वारदात पर लिखने की कोशिश करते हुए लिख न पा रहा था। हर बार जैसे अंदर से पित्त भरा गुबार उमड़ आता था।
इस नेवले की चाल देख कर लिखने का मन हो आया।
कई साल पहले मध्य प्रदेश में हरदा शहर के सिंधी कालोनी में एक मकान में कुछ समय के लिए ठहरे थे। वहाँ एक नेवला अक्सर घर के अंदर आ जाता था। मेरी पत्नी को समझ में नहीं आ रहा था कि यह नेवला क्या बला है - तो एक दिन मैं कह ही रहा था और उसने पूछा कि आखिर कैसा होता है यह नेवला और तभी श्रीमान साक्षात् खिड़की पर आ मौजूद हुए। आज वह घटना याद हो आई।
Comments
कुछ महीने पहले तक मैं एक स्कूल में पढ़ाता था जिसकी रसायन विज्ञान प्रयोगशाला में जो भूमितग नाली थी उसमें नेवला बाकायदा रहा करता था। शंतिपूर्ण सहअस्तित्व....
कैद मे कर लिया यह कह कर सापो को सपेरो ने,
कि ये मौसम तो इन्सान को इन्सान से कटाने का है.
लाल्टु जी मै आपके निठारी पर लेख की प्रतिक्षा कर रहा हुँ,
Reading " Two Lives " by vikram Seth . Another biography that recounts , through the lives of protagonists , the horrors of Naziz . We do not seem to civilised much since then .
shikha