Wednesday, September 16, 2009

परेशान एक दूसरे से पेश आते हुए

Margaret Atwood की कविता बेटी के ब्लॉग से और मेरा अनुवादः

We are hard on each other -- Margaret Atwood
परेशान एक दूसरे से पेश आते हुए - मार्ग्रेट ऐटवुड

i)

परेशान एक दूसरे से पेश आते हुए
हम अपनी बातों को साफगोई कहते हैं
अपने पैने सच
सावधानी से चुन फेंकते हैं
निरपेक्ष मेज पार।

जो बातें हम कहते हैं, वह सच हैं
हमारे निशानों में ही होतीं तिकड़में
जिससे वे खूँखार बन जाते हैं।

ii)


सच है कि तुम्हारे झूठ
ज्यादा खुशगवार हैं
हर बार नये जो ढूँढ लाते हो

तकलीफदेह और ऊबाऊ तुम्हारे सच
बार बार कहे जाते हैं
शायद इसलिए कि उनमें से बहुत कम हैं
जिन्हें तुम मानते हो कि तुम्हारे हैं

iii)

सच ज़िंदा तो है
पर इसका ऐसा इस्तेमाल
गलत है। मुझे प्यार है तुमसे

यह सच है या औजार?

iv)


इस तरह हिलते डुलते
क्या शरीर झूठ बोलता है
ये स्पर्श, केश, यह गीला नर्म संगमरमर
जिसपर मेरी जीभ दौड़ती है
क्या ये झूठ हैं जिन्हें तुम कह रहे हो?

तुम्हारा शरीर कोई शब्द नहीं
यह झूठ नहीं कहता
सच भी नहीं कहता

बस मौजूद है यहाँ
या मौजूद नहीं है।


We are hard on each other -- Margaret Atwood


i)

We are hard on each other
and call it honesty,
choosing our jagged truths
with care and aiming them across
the neutral table.

The things we say are
true; it is our crooked
aims, our choices
turn them criminal.

ii)

Of course your lies
are more amusing:
you make them new each time.

Your truths, painful and boring
repeat themselves over & over
perhaps because you own
so few of them

iii)

A truth should exist,
it should not be used
like this. If I love you

is that a fact or a weapon?

iv)

Does the body lie
moving like this, are these
touches, hairs, wet
soft marble my tongue runs over
lies you are telling me?

Your body is not a word,
it does not lie or
speak truth either.

It is only
here or not here.


© Margaret Atwood

4 comments:

ओम आर्य said...

हमने तो हाथ उठा दिये .........क्या बात है आपमे.........रचना रोम रोम से शरीर से होते हुये .......दिल मे उतर गयी..........और दिमाग .......नतमस्तक है आपकी रचनाधर्मिता पर....

अनिकेत said...

हिंदी अनुवाद में मूल वाली सरसता नहीं आई. शायद कविता के अनुवाद में आती भी नहीं है. फिर भी मारग्रेट Atwood से मिलवाने का बहुत बहुत शुक्रिया.

लाल्टू said...

कविता बेटी के ब्लाग (aqrima.blogspot.com) से ली थी - उसने और भी कई अच्छी कविताएँ पोस्ट की हुई हैं। अब मैंने ऊपर यह सूचना डाल दी है। मेरा अनुवाद extempore है, इसलिए बहुत अच्छा तो हो नहीं सकता।

प्रदीप कांत said...

सच ज़िंदा तो है
पर इसका ऐसा इस्तेमाल
गलत है। मुझे प्यार है तुमसे

यह सच है या औजार?

----------------Nice question left by poem