मेरे वेश पर क्या नहीं कहा गया
पर मैंने परवाह ही कहाँ की
मेरा नंगा सिर तना रहा
मेरे नाम की हजारों प्रतियाँ ढोते इस महँगे भेष के ऊपर
सलीके से इसे सिला गया
पहले पहना इसे मेरे ख़ैरख़ाहों ने
क्या खबर कि इसके धागों में किसी ने मिला रखा हो ज़हर
फिक्र हुई थी एक पल
कि ज़हर से बचे पर जिन्होंने मेरे पहले पहना उनके बदन से
आ गए हों कुछ जीव सूक्ष्म अगर
फिर अपना सीना आईने में देखा इसके अंदर
कितना तो जिसकी चौड़ाई पर नाज़ है मुझे
खुश था मैं और भूल गया ज़हर वहर
जिसे मिला है शैतान का वर
कौन खुदा का बंदा गिरा सकता उसे!
पर मैंने परवाह ही कहाँ की
मेरा नंगा सिर तना रहा
मेरे नाम की हजारों प्रतियाँ ढोते इस महँगे भेष के ऊपर
सलीके से इसे सिला गया
पहले पहना इसे मेरे ख़ैरख़ाहों ने
क्या खबर कि इसके धागों में किसी ने मिला रखा हो ज़हर
फिक्र हुई थी एक पल
कि ज़हर से बचे पर जिन्होंने मेरे पहले पहना उनके बदन से
आ गए हों कुछ जीव सूक्ष्म अगर
फिर अपना सीना आईने में देखा इसके अंदर
कितना तो जिसकी चौड़ाई पर नाज़ है मुझे
खुश था मैं और भूल गया ज़हर वहर
जिसे मिला है शैतान का वर
कौन खुदा का बंदा गिरा सकता उसे!
A
lot has been said about what I wear
How
do I care
I
have held my bare head high
On
this disguise carrying my name thousands of times
It
was sewn neatly
At
first my well-wishers wore it
You
know there could be poison in it
And
for a moment I did worry
Though
saved from poison but from their skin
A
few bacteria might have crawled on to me
And
then in the mirror I saw my chest inside the dress
Oh
how I pride on its size
I
felt happy and forgot about the poison
After
all I am blessed by the Satan
No
God’s creation can hurt me!
Comments