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लौटता हूँ सेरा टीसडेल की कविताओं में


ए बी बर्धन की बेबाकी को सुनने का अलग ही मज़ा होता था। 
उनकी ज़िंदादिली को याद करते हुए लौट रहा हूँ सेरा टीसडेल की कविताओं में - जिनकी सादगी मुझे 
सहलाती है। 
  
Words For An Old Air

Your heart is bound tightly, let
Beauty beware,
It is not hers to set
Free from the snare.

Tell her a bleeding hand
Bound it and tied it,
Tell her the knot will stand
Though she deride it;

One who withheld so long
 All that you yearned to take,
Has made a snare too strong
For Beauty's self to break.

पुरानी हवा के लिए अल्फाज़

हुस्न को खबर हो कि
तुम्हारा दिल है सख्त बँधा,
इस जाल से छुड़ाना
काम नहीं है उसका।

उसे खबर करो कि घायल हाथों ने
इसे बाँधा जकड़ा
कह दो कि वह रोए पीटे
बंधन बड़ा यह तगड़ा।

अब तक जिसने सहा
जो कुछ भी पाना चाहा तुमने
ऐसा सख्त जाल रचा उसने
जो न टूटेगा हुस्न की खुदी से।


Mountain Water

You have taken a drink from a wild fountain
Early in the year;
There is nowhere to go from the top of a mountain
But down, my dear;
And the springs that flow on the floor of the valley
Will never seem fresh or clear
For thinking of the glitter of the mountain water
In the feathery green of the year.

पहाड़ का पानी

तुमने साल की शुरुआत में
जंगली झरने का पानी पिया है;
पहाड़ की चोटी से कहीं और नहीं जा सकते
प्रिय, रास्ता बस नीचे ही जाने का है;
और घाटी की सतह पर जो सोते बहते हैं
वे कभी साफ और पारदर्शी न दिखेंगे
साल के पंख भरी हरीतिमा के दिनों
पहाड़ के पानी की झलक क्या सोचेंगे।

Two Minds

Your mind and mine are such great lovers they
Have freed themselves from cautious human clay,
And on wild clouds of thought, naked together
They ride above us in extreme delight;
We see them, we look up with a lone envy
And watch them in their zone of crystal weather
That changes not for winter or the night.

दो दिल

तेरे मेरे दिल ऐसे गहरे आशिक हैं
कि वे सँभली इंसानी ज़मीं से छूट चुके हैं
ऊपर खयालों के पागल बादलों पर, इकट्ठे नंगे
मस्तमौला सैर कर रहे हैं;
उन्हें देखते हम, बस जलन के साथ
और साफ मौसम की फिज़ां में दिखते वे
न वो जाड़ों में न रातों में बदलते हैं।             (सदानीरा - 2015)

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