कल आज
कल
जिसके साथ खेलने गया था
आज
वह कहीं और है
सपनों
में वह आता है
हम
खेलते हैं
एक
ही खेल में फुटबॉल क्रिकेट।
मैंने
उसे चिट्ठी लिखी है
उसने
मुझे चिट्ठी लिखी है
चिट्ठी
में आज की बातें हैं
कल
की भी बातें हैं
अलग-अलग
बातें
अलग-अलग
रंग
शिकवा
है तो लाल-लाल
नखरे
हैं हरे-हरे
मिस
करते हैं नीला
पढ़कर
हँसते हैं तो बासंती हो जाते
हैं शब्द।
बातें
खेल की
बातें
पढ़ाई-लिखाई
की
बातें
जब बच्चे थे तब की
बातें
बड़े होते रहने की
सपने
में तितली पकड़ते
एक
दूसरे से टकरा जाते हैं
एक
दूसरे को फूल देते हैं
सपने
में फूल का विज्ञान भी जान
लेते हैं
कल
जिसके साथ खेलने गया था
आज
वह बैंगनी सपना है।
(दृश्यांतर
-
2014)
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