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Location: हैदराबाद, तेलंगाना, India

बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Thursday, September 18, 2014

आज वह बैंगनी सपना है


कल आज



कल जिसके साथ खेलने गया था

आज वह कहीं और है

सपनों में वह आता है

हम खेलते हैं 
 
एक ही खेल में फुटबॉल क्रिकेट।


मैंने उसे चिट्ठी लिखी है

उसने मुझे चिट्ठी लिखी है

चिट्ठी में आज की बातें हैं 
 
कल की भी बातें हैं 
 
अलग-अलग बातें 
 
अलग-अलग रंग 
 
शिकवा है तो लाल-लाल

नखरे हैं हरे-हरे

मिस करते हैं नीला 
 
पढ़कर हँसते हैं तो बासंती हो जाते हैं शब्द।


बातें खेल की

बातें पढ़ाई-लिखाई की

बातें जब बच्चे थे तब की 
 
बातें बड़े होते रहने की


सपने में तितली पकड़ते 
 
एक दूसरे से टकरा जाते हैं

एक दूसरे को फूल देते हैं

सपने में फूल का विज्ञान भी जान लेते हैं


कल जिसके साथ खेलने गया था

आज वह बैंगनी सपना है। 
 
(दृश्यांतर - 2014)

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1 Comments:

Blogger Unknown said...

ek hi khel mein football cricket ...लाजवाब

7:52 PM, September 18, 2014  

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