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सभी अंग्रेज़


आगे आती थी हाले दिल पे हँसी
अब किसी बात पर नहीं आती
यह अच्छा मौका है कि जब वे सब लोग जो चार महीने पहले आधी रात के बाद पटाखे फोड़ कर मेरे जैसों की नींद हराम कर रहे थे और अब हाय हाय कर अपनी नींद पूरी नहीं कर रहे, ऐसे वक्त इस बदनसीब मुल्क की कुछ खूबियों को गिना जाए। मेरे जैसे मूल्यहीन व्यक्ति को इन दिनों जबरन मानव मूल्यों नामक अमूर्त्त विषय पर सोचने और औरों से चर्चा करने की जिम्मेदारी दी गई है। इसी प्रसंग में चर्चा छिड़ी कि स्वाधीनता दिवस क्यों मनाया जाए। वैसे तो ज्यादातर लोगों के लिए यह ध्रुवसत्य है कि यह दिन एक बड़ी जीत की स्मृति में ही मनाया जाता है; पर मजा किरकिरा करते हुए बंदे ने जनता को सलाह दी कि जीत नहीं हार मानकर भी यह दिन उत्सव मनाने लायक है। बार बार हार कर भी फिर से अन्याय के खिलाफ लड़ने के लिए उठ पड़ने का जो अनोखा उन्माद मानव मस्तिष्क में है, यह दिन उस उन्माद का उत्सव मनाने के लिए है। और चूँकि यही बात पाकिस्तान के चौदह अगस्त पर और टिंबकटू के भी ऐसे ही किसी नियत दिन पर भी लागू होती है, इसलिए उन दिनों को भी इसी खयाल से बराबर जोश के साथ मनाया जाना चाहिए। इस मुल्क की सबसे बड़ी खूबी यह कि यहाँ हम तुम कुछ लोग ही सही ऐसी बातें कर सकते हैं।
बहरहाल खेल तो खेल ही होता है पर हमारी पटाखे फोड़ू जनता के साथ यह ग़म मेरा भी कि करोड़ों का मालिक सही, सचिन को ऐसा रन आउट होना था। वेद कुरान गुरु ग्रंथों से निकला कोई वैज्ञानिक रब्ब उस आकाश में न था, जिसके लिए उसकी टीस के साथ और कई टीसें उस वक्त एकाकार हुई थीं। उस वक्त राम कृष्ण अल्लाह सभी अंग्रेज़ थे। क्या किया जाए, अंग्रेज़ी का जमाना है।
फिलहाल अंग्रेज़ी में एमा गोल्डमैन का वह भाषण फिर याद किया जाए जो उसने 1908 में दिया था, और जिसमें उसने कहा था कि - Indeed, conceit, arrogance and egotism are the essentials of patriotism. Let me illustrate. Patriotism assumes that our globe is divided into little spots, each one surrounded by an iron gate. Those who have had the fortune of being born on some particular spot consider themselves nobler, better, grander, more intelligent than those living beings inhabiting any other spot. It is, therefore, the duty of everyone living on that chosen spot to fight, kill and die in the attempt to impose his superiority upon all the others.
The inhabitants of the other spots reason in like manner, of course,....
आज़ादी की चाह मानव मन की बुनियादी प्रवृत्ति है। आज़ादी का दिन यह जानने के लिए मनाया जाए कि अभी और कितनी लड़ाइयाँ लड़नी हैं। हजारों लोग लड़ रहे हैं कि हमारे बच्चों का भविष्य बेहतर हो। इस दिन उनको सलाम किया जाए कि तमाम सलवा जुडुम और मोदियों के होते भी वे लड़ रहे हैं। स्वाधीन भारत के लिए लड़ाई स्वाधीन मानव के लिए लड़ाई है।

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