Tuesday, July 16, 2019

बहता है आब-ए-हयात हमेशा नीचे की ओर


रोशनी मिली अपने ही अँधेरे में

ताज़िंदगी इंतज़ार रहा कि कभी रोशनी होगी
कारवां गुजरता रहा बीहड़ों से
लहरें कभी स्थिर कभी उमड़ती रहीं
धरती के हर छोर पर घूमा कि रोशनी होगी

रोशनी मिली अपने ही अँधेरे में
देर बहुत हुई यह जानने में कि यही रोशनी है
कि वक्त का तीर वाकई इकतरफा है
बहता है आब--हयात हमेशा नीचे की ओर

क्या कुछ होना था कौन जानता है
जो हुआ वही है
यही रोशनी है कि अँधेरे में रहे अब तक
कि जहाँ भी सुकून था उसे छोड़ बेकरारी में जिए

रोशनी की लहरें आती है
कि जो है वह सब अँधेरे में है।
- (पहल - 2019)

I found light in my own darkness

I waited all my life for it to be light
We traveled through wilderness
Waves came around calm at times and turbulent
elsewhile
I went to all corners of the world to seek light

I found light in darkness within me
It took a long while to see that it was light
That the arrow of time is indeed directed
That the waters of life always flow downhill

Who knows what was to happen
What has happened is for real
This is what light is that darkness prevailed until now
That I strayed from comforts to live restlessly

Waves of light arrive to show
That what is there it is in the darkness.

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