रोशनी
मिली अपने ही अँधेरे में
ताज़िंदगी इंतज़ार रहा कि कभी रोशनी होगी कारवां गुजरता रहा बीहड़ों से लहरें कभी स्थिर कभी उमड़ती रहीं धरती के हर छोर पर घूमा कि रोशनी होगी
रोशनी मिली अपने ही अँधेरे में देर बहुत हुई यह जानने में कि यही रोशनी है कि वक्त का तीर वाकई इकतरफा है बहता है आब-ए-हयात हमेशा नीचे की ओर
क्या कुछ होना था कौन जानता है जो हुआ वही है यही रोशनी है कि अँधेरे में रहे अब तक कि जहाँ भी सुकून था उसे छोड़ बेकरारी में जिए
रोशनी की लहरें आती है कि जो है वह सब अँधेरे में है। - (पहल - 2019)
I found light in my own darkness
I waited all my life for it to be light We traveled through wilderness Waves came around calm at times and turbulent elsewhile I went to all corners of the world to seek light
I found light in darkness within me It took a long while to see that it was light That the arrow of time is indeed directed That the waters of life always flow downhill
Who knows what was to happen What has happened is for real This is what light is that darkness prevailed until now That I strayed from comforts to live restlessly
Waves of light arrive to show That what is there it is in the darkness.
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