फासिस्ट धड़ल्ले से नंगा नाचन नाच रहे हैं। एक वो जो राम या रहीम के नाम पर हमले करते हैं, जैसा हमारे मित्र प्रशांत पर किया, दूसरे वो जो सरकारी तंत्र में हैं, जिन्होंने सोनी सोरी की हड्डियाँ तोड़ने की कोशिश की है। क्या सचमुच यह देश इतनी तेजी से अँधेरे की ओर बढ़ता जा रहा है। सामान्य नागरिक को शांति से जीने के लिए हत्यारों के साथ सहमत होना पड़ेगा?
इन बर्बरों का मुकाबला जो जहाँ जैसे भी कर सकता है, करें।
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