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Location: हैदराबाद, तेलंगाना, India

बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Wednesday, September 06, 2006

रक्षा करो

मोहन राणा के ई-ख़त से पता चला कि मैंने अभी तक भारत लौटने की घोषणा नहीं की है। जून के अंत में ही मैं लौट आया था। दस दिन चंडीगढ़ की गर्मी खाई। उसके बाद से बस यहाँ हैदराबाद में वापस।

देश के कानूनों से अभी तक उलझ रहा हूँ। जैसा कि डेपुटी ट्रांस्पोर्ट कमिशनर ने कहा - बी सीटेड, आप प्रोफेसर हैं, आपको कानून का पता होना चाहिए। बखूबी होना चाहिए और मैंने पता किया कि जिस तरह छात्रों को एक प्रांत से दूसरे प्रांत जाने पर माइग्रेशन सर्टिफिकेट नामक फालतू कागज़ हासिल करना पड़ता है, इसी तरह गाड़ियों, स्कूटरों को भी एन ओ सी चाहिए होता है - वह भी सही आर टी ए के नाम - यानी आप नहीं जानते कि हैदराबाद में ट्रांस्पोर्ट अथारिटी हैदराबाद के अलावा अन्य नामों में भी बँटी हुई है तो आप रोएँ। शुकर है अंजान भाई कि तरह डेपुटी ट्रांस्पोर्ट कमिशनर को इस बात पर शर्म नहीं अाई कि मुझ जैसा अज्ञ उनके देश का नागरिक है। वैसे मुझे अच्छी तरह डरा ज़रुर दिया - हमारे इंस्पेक्टर ने गाड़ी चलाते पकड़ लिया तो!!! तो बहुत सारे कागज़ तैयार कर के, चेसिस नंबर तीन तीन बार पेंसिल से घिसके, अपनी घिसती जा रही शक्ल के फोटू कई सारे साथ लगाकर और पता नहीं क्या क्या चंडीगढ़ में भारी भरकम सरकारी अधिकारी मित्र को भिजवाए हैं, हे ब्रह्मन, रक्षा करो टाइप प्रार्थना के साथ।

चलो, मोहन की वजह से यह रोना रो लिया तो सबको बता दें कि मोहन राणा हिंदी के युवा कवि हैं (माफ करना मोहन, हिंदी में तो बतलाना ही पड़ता है - अधिकतर लोगों को हरिवंश बच्चन के बाद किसी कवि का नाम पता नहीं है,... अब शुरु होगी पिटाई...) और उनकी कविताएँ यहाँ पढ़ें, और अनूदित रचनाएँ यहाँ

जनता से गुजारिश है कि अगली क्रंदन कथा के लिए कुछ दिन इंतज़ार करें। इस बीच ओम थानवी धड़ाधड़ एक से बढ़कर एक लाजवाब लेख लिखे जा रहे हैं, अच्छी हिंदी का लुत्फ उठाएँ।

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4 Comments:

Blogger रत्ना said...

दुआ है कि अगली बार आप क्रन्दन कथा की जगह खुशी का संदेशा दें। ईश्वर अधिकारियों को सद्-बुद्धि दे।

9:08 PM, September 06, 2006  
Blogger मसिजीवी said...

मैं आपका आभारी हूँ कि आपने मोहन राणा का लिंक दिया। उनका तेवर और नजरिया दोनों पसंद आया। एक बार फिर शुक्रिया

11:21 PM, September 07, 2006  
Anonymous Anonymous said...

Hope your problem was solved. How do you guys right in Hindi?

12:43 AM, September 21, 2006  
Anonymous Anonymous said...

Every country has its own rules and regulations. You visited so many places outside INDIA. Perhaps you dont find any such rules outside. That's why you are talking about such things. But these are really necessary. What you do if u lost ur car or something else. Then this would be helpful. So leave this -ve attitude and cooperate with system not always write against it. Rules are made to protect public intrest..

12:36 PM, September 29, 2006  

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