काहे नहीं होना चाहिए। परीक्षार्थी के मुल्यांकन की जाँच करवाने पर जितना खर्चा होता है यदि वह, वह खर्चा देने के लिए तैयार है तो परीक्षा लेने वालों के पेट में किस बात का दर्द है। या तो उनके पास कुछ छुपाने को है। उलटा इससे तो जाँचने वाले भी ठीक से काम करेंगे।
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काहे नहीं होना चाहिए। परीक्षार्थी के मुल्यांकन की जाँच करवाने पर जितना खर्चा होता है यदि वह, वह खर्चा देने के लिए तैयार है तो परीक्षा लेने वालों के पेट में किस बात का दर्द है। या तो उनके पास कुछ छुपाने को है। उलटा इससे तो जाँचने वाले भी ठीक से काम करेंगे।
- पंकज
मैं सोच ही रहा था कि अंबालेवाले किधर गए। सचमुच चिट्ठे में लिखने वाला था। बड़े दिनों बाद मिले बॉस। सब राजी खुशी?
लगता है जमला जट्ट खींच लाया।
मिर्ची से अपन भी सहमत हैं। अरुणा राय जी को लिखा जाए।
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