तक्नोलोजी
के साथ बूढ़े हुए हैं हम
वह
ज़माना याद है?
जब
साल में किसी खास मौके पर फोटो
खिंचवाते थे
अव्वल
तो बेवजह खिंचवाते ही न थे
कहीं
कोई दरखास्त भरनी होती थी,
किसी इम्तहान
का ऐडमिट कार्ड
या
कॉलेज में भर्ती जैसा कुछ होता
था
या
जब पहली बार ड्राइविंग लाइसेेस
बनाना था
स्टूडियो
में फोटोग्राफर सलीके से
बैठाकर कभी कॉलर और कभी बाल
ठीक
करता था
सतरह
साल की उम्र के फोटो में ऊटी
में होटल मालिक की नन्ही बच्ची
को कंधे
पर बिठाया था
क्लास
के किसी लड़के ने खींचा था उस
कोट में जो दोस्त से उधार लिया
पहना
था
तक्नोलोजी
के साथ-साथ
बूढ़े हुए हैं हम
पुरानी
तस्वीरों में देखता हूँ अपनी
झेंपती शक्ल
यू-ट्यूब
पर गुलाम अली को चुपके-चुपके
वाला जमाना याद है गाते सुनता
हूँ
वह
बच्ची अब कहाँ पैंतालीस की
उम्र का परिवार सँभाल रही होगी
अब
तो अपनी बेटी भी बड़ी हो गई है
निश्छल
एहसासों की याद सुकून देती
है
जब
चारों ओर कुछ भी निश्छल नहीं
रहा लगता है
हर
पल सेल्फी जिए जा रहे इस ज़माने
में।
- (पाठ - 2018)
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