इसलिए
जोर से मत कहना
परमाणु
में भूत है
इस
बात को जोर से मत कहना
क्या
पता प्रधान मंत्री ढूँढ निकालें
वैशेषिक से कोई स्त्रोत
कि
हमारे पुरखों को यह पता था
पुरखों
को हर बात पता थी
यह
भी कि कभी ऐसा राज आएगा कि कौआ
मोती खाएगा
उनको
यह तो ज़रूर पता था
कि
भूत या भविष्य दोनों वर्तमान
से ही बनते हैं
भविष्य
में जीते हुए हम भूत के अणुओं
को यादृच्छ आकार देते हैं
वाकई
परमाणु में भूत है
अब
भाषा की वह औकात रही नहीं कि
इससे अधिक कह सके
ग़रीब
हो भाषा तो ग़रीब होता है उसे
जीने वाला
एक
ही कायनात में सफर पूरा नहीं
कर पाता
तो
और कायनातों की क्या सोचे
भूत
दौड़ता रहता है कायनात-दर-कायनात
प्यार
और नफ़रत के खेल खेलता
हर
मुल्क में कभी बुद्ध और कभी
मिहिरकुल बाँटता
इसलिए
जोर से मत कहना
कि
परमाणु में भूत है।
- (पाठ - 2018)
So
Do Not Speak Aloud
There is a ghost in the atom
Do not say it loud
You never know
The prime minister may find a shloka in Vaisheshika
And claim that it was known to our ancestors
Our ancestors knew everything
They knew that a day will come when
Broken clocks will be used to know the time
They certainly knew that
The past and the future are made in the present
We live in the future giving random shapes to the past
Indeed there is a ghost in the atom
The language does not have the power to say any more of it
When a language is poor then the one who lives it, is poor
One universe is too large to know it well
Let alone multiverses
The ghost runs from a universe to
another
Indulging in love and hate
Placing a Buddha and a Mihirkula in every Nation
So speak not aloud that
There is a ghost in the atom.
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