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सिसकियाँ जुगनू बन नाचती हैं


शोकगीत



1


ध्रुव तारा हो या कि उसका चक्कर लगाते रीछ हो


अमावस की रात तुम्हें ढूँढता हूँ


काल की अँधेरी छाया गहराती आती रोशनियों के शहर पर।


जहाँ भी तुम हो, वहाँ जिस ग्रह में आदमी को सपने देखने की आज़ादी है, पता 

चले तो लिखना। तुम्हारा लिखा पुच्छल तारे सा अमावस चीरता दिख 
 
जाएगा; सभी खो गए दोस्त एक साथ गिटार और ढपली बजाते हुए 

मिल जाएँगे ।



पेड़ों के पत्तों के बीच से छन कर आती है रोशनी,


दुखों का भार सीनों पर है, सिसकियाँ जुगनू बन तुम्हारी किरणों 

के चारों ओर नाचती हैं; टपकता आँसू उँगलियों पर लिए छिड़कता हूँ तुम्हारी 

ओर।



2


देर तक इस एहसास में डूबे कि सब कुछ कहीं गहराई में गिरता चला है; हम 

प्रार्थना करने की जगह ढूँढते रहे।


पीछे शैतान के चर उड़ते-दौड़ते आ रहे थे, कर्कश ध्वनियों का नाद था। गिरते 

ही जा रहे थे। खंदकों, गड्ढों में से होते हुए हृदय के प्रेतों को उपहार दे रहे अपने 

क्षत अंग।



3
जीवन दिन के चक्कर काट रहा था। ग्रहों पार से संदेश आते, सुनहरे रंगों वाले 
संदेशों से हम छले जाते। आखिर लौटते वापस वहीं जहाँ फिर कोई खो गया 
होता। इस तरह हमें मात किया शैतान ने, एक-एक कर हमें उठाता चला और 
फौज में भर्ती करता चला।

4
तीन सौ, तीन हज़ार, तीस हज़ार, तीस लाख, तीस करोड़ साल हो गए
सूरज छिपता रहा पश्चिम की ओर,

गर्मी और जाड़ा घूमते एक दूसरे के इर्दगिर्द
छायाएँ चट्टानों पर शोकगीत लिखती रहीं
जंगली फूल उगते रहे दफन हुई जानों पर
धरती ढोती रही अनगिनत दुख
सुंदर विलीन होता किसी और सुंदर में


चट्टानें रिसती रहीं

किसी आज में कोई कल ढूँढते
बिखरते रहे शोकगीत धरती पर।

                                        - प्रभात खबर (दीपावली विशेषांक) -2016

Elegy

1

You are the pole star or the bear circling it

I look for you on a new moon night

Dark shadow of death deepens on the city of lights

Wherever you are, when you find the planet where humans are free 

to dream, write to us. Your letters 

will be seen as a comet piercing the new moon night; all lost souls 

will appear together playing guitar 

and drums.

Light comes sieved through leaves,

our breasts carry pain, sobs dance like fireflies around the rays, I 

take a dripping tear on my finger and 

sprinkle it towards you.


2

For long we were sunken in this feeling that everything is falling 

into an abyss; we kept looking for a 

place to pray. The devil’s soldiers were chasing us flying, there was 

a din of hoarse voices. We were 

falling. From the pits and the ditches we delivered our injured 

organs to the ghosts of our souls.


3

Life circled the day. Messages came from beyond planets, and we 

were deceived by the golden shine 

of the messages. And we came back to the same point where 

someone was forever lost. This is how 

the devil won over us, it picked us up one after another and made 

into a soldier for him.


4

Three hundred, three thousands, thrirty thousand, three million, a 

billion years have passed.

The sun set forever in the West.

Summer and Winter circled each other,

Shadows wrote elegies on the rocks

Wild flowers grew on buried souls

The Earth bore endless pain

A vision disappearing in some other vision



The rocks eroding

Looking for another day in a today

Elegies moved all over the Earth.


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