जली है एक बार फिर दाल
जली
है एक बार फिर दाल
या
कि इस बार दूध उबला है
यूँ
ही उबलते जलते हैं शब्द
आदमी
तो महज चूल्हे तक जाकर
आँच
धीमी कर सकता है
आग
के बुझने से नहीं रुकता
जो
उबलता जलता है
वक्त
गुजारता हूँ
स्वाद
जला मुँह में लिए।
(2004; दृश्यांतर 2014)
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