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मानव मूल्य क्या हैं?


मानव मूल्य क्या हैं?
मैंने एक युवा साथी का सवाल सुना और मुझे बिल्कुल ही बेमतलब तरीके से Walt Whitman की पंक्तियाँ याद आ गईं-

A child said, What is the grass? fetching it to me with full hands;
How could I answer the child? I do not know what it is, any more than he.

वक्त गुजरने के साथ यह शक बढ़ता जा रहा है कि जो यह दावा करते हैं कि उनको मानव मूल्यों की समझ है, पेंच उन्हीं का ढीला है।

'सुना रहा है ये समाँ, सुनी सुनी सी दास्ताँ'

दोस्तों, बुनियादी बात प्यार है, बाकी सब कुछ उसी में से निकलता है। यह हमारी नियति है। हम किसी दूसरे ब्रह्मांड में नहीं जा सकते, कोई और गति के नियम हम पर लागू नहीं हो सकते।

आंद्रे मालरो के उपन्यास 'La Condition Humaine (मानव नियति)' में हेमेलरीख (नाम ग़लत हो सकता है; जहाँ तक स्मृति में है) राष्ट्रवादियों के साथ लड़ाई में कम्युनिस्टों की मदद करने से इन्कार करता है, प्यार की वजह से; और जब राष्ट्रवादी उसके बीमार बच्चे की हत्या कर देते हैं, तो वह लड़ने मरने के लिए निकल पड़ता है -प्यार की वजह से।

कुबेर दत्त की आदत थी कि आधी रात के बाद फोन करते और अपना रोना सुनाते। कोई दो हफ्ते पहले मैंने वादा किया था कि अपने पिछले कविता संग्रह और कहानी संग्रह भेजूँगा। तीसरा संग्रह 'लोग ही चुनेंगे रंग' उन्हीं की वजह से आया था, आवरण भी उन्हीं ने बनाया था। कहानी संग्रह की अतिरिक्त प्रति ढूँढता रह गया और आज नीलाभ का पोस्ट देखा - वह आदमी चला गया। आखिरी बार जब फोन पर बात हुई तो कुछ अंतरंग बातें की थीं, क्या इसीलिए कि अब कूच करना था। मैं कुल तीन बार मिला था, पता नहीं क्यों इतना प्यार!

कविता (श्रीवास्तव) से मिले कई युग बीत गए। करीब पच्चीस साल। वह वंचितों के लिए लड़ती रही है। लगातार।
और कल उसके घर जयपुर में छत्तीसगढ़ पुलिस का हमला हुआ। किसी को शक है क्या कि नरेंद्र मोदी अगला प्रधान मंत्री बन रहा है? एक साथी संतुष्ट है कि हमें 'imagined fear' से घबराना नहीं चाहिए। क्या करूँ, डरपोक हूँ, डरता हूँ। चारों ओर संतुष्ट लोग हैं। अफ्रीका से भगाए पूँजीपतियों ने मनमोहन के एल पी जी का फायदा उठाकर ऐसी मलाई बाँटी है कि बंधु सकल गुड गवर्नेंस के नशे में हैं। हिटलर का गुणगान करते बुज़ुर्ग अभी भी दो चार मिल जाएँगे।
कहते हैं जर्मन टेक्नोलोजी का कोई जोड़ नहीं था।

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अच्छा लगा इस पोस्ट को पढ़ते हुये। :)

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