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स्मृति में प्रेम

पच्चीस साल से मैं इंतज़ार कर रहा था, जाने कितने दोस्तों से कहा था कि डोरिस लेसिंग को नोबेल मिलेगा। आखिरकार मिल ही गया। 'चिल्ड्रेन अॉफ व्हायोलेंस' शृंखला में तीसरी पुस्तक 'लैंडलॉक्ड' से मैं बहुत प्रभावित हुआ था। जाने कितनों को वह किताब पढ़ाई। अब फिर पढ़ने को मन कर रहा है, पता नहीं मेरी वाली प्रति किसके पास है। वैसे तो किसी भी अच्छी किताब में कई बातें गौरतलब होती हैं, पर स्मृति में मार्था और एक पूर्वी यूरोपी चरित्र था, जिसका नाम याद नहीं आ रहा, उनका प्रेम सबसे अधिक गुँथा हुआ है। मुझे अक्सर लगा है कि डोरिस ने हालाँकि साम्यवादी व्यवस्थाओं के खिलाफ काफी कुछ कहा लिखा है, 'लैंडलॉक्ड' में क्रांतिमना साम्यवादिओं के गहरे मानवतावादी मूल्यों की प्रतिष्ठा ही प्रमुख दार्शनिक तत्व है। शायद इसी वजह से डोरिस को पुरस्कार मिलने में इतने साल भी लगे।

Comments

Srijan Shilpi said…
कुछ और बताते न। समीक्षा के बहाने ही सही। तृप्ति नहीं हुई।

चलो यह अच्छा ही हुआ, अब बढ़ने की तमन्ना जाग गई है डोरिस को।
इधर देखेंः http://news.bbc.co.uk/2/hi/entertainment/7039539.stm
anilpandey said…
सर, आप रूक क्यों गए,आपको तो बहुत कुछ कहने की आदत है कहो ना इसके विषय में कुछ और। कम से कम हम भी समझे उनके विषय में कुछ।
The Campus News said…
"आइए हाथ ऊठाये हम भी" श्रीमान मैं आप से जानना चाहता हूँ कि आप ने अपने ब्लाग का नाम यह क्यों रखा। मेरा मानना है कि हाथ उठाने से कुछ नही हो सकता है हमें अपने कदम को आगे बढाना चाहिए जिससे कि हम मंजिल को प्राप्त कर सकें ।

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