संवाद
मुझे
दिखते बादल मटमैले
आप
कहते हैं कि अब तूफान नहीं
आएगा
मैं
देखता हूँ कि हवा थमी ही नहीं
आप
विरक्त हैं
आपके
अंदाज़ में दया है
मेरे
पास दो रास्ते हैं
एक
कोना है जहाँ मैं सिमट सकता
हूँ
दूसरा
यह कि मैं आप की आँखों की सर्जरी
करूँ
कि
वे देख सकें जो चारों ओर है
आप
समझाते हैं
कि
मुझे बैठ जाना चाहिए
नहीं
देखना चाहिए जो दिखता है
मैं
कोने में सिमटने से पहले
उछलना
चाहता हूँ
आप
हैं जितने शिथिल
टाँगें
बेजान,
मुट्ठियाँ
बंद
मेरा
शरीर उतना ही है बेचैन
मुझे
बदली में दिखती है धूप
हवा
के कण परस्पर दूर भागते
दीवारें
पारदर्शी
प्रकाश
के साथ ताप का एहसास
ज़मीं
से आस्मां तक धधकती फिजां
आप
को लगता है कि
इन
दिनों धरती रहने लायक नहीं
रही
मैं
धरती को चूमता हूँ
उन्मत्त
नहीं, सधे
ताल पर नाचता हूँ। (वागर्थ 2016)
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