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बेहतर इंसान बनने के लिए संघर्षरत; बराबरी के आधार पर समाज निर्माण में हर किसी के साथ। समकालीन साहित्य और विज्ञान में थोड़ा बहुत हस्तक्षेप

Sunday, December 28, 2008

सबको नया साल मुबारक

लंबे समय से ब्लॉग लिखा नहीं। इधर कुछ कविताएँ पत्रिकाओं में आती रहीं तो लगा कि चलो कुछ तो लिखा। ऐसा होना नहीं चाहिए। जो लोग लिख रहे हैं अच्छा लिख रहे हैं। हालाँकि कभी कभी कुछ चीज़ें पढ़ कर हताशा होती है, फिर भी जो लिख रहे हैं, उनको धन्यवाद और बधाई। धरती पर बकवास करने वालों के लिए भी जगह है।

किसी जनाब ने मेल भेजी कि हमारा ब्लॉग पढ़ो। चलो भई देख लिया। क्या, कि इस मुल्क में गीता पढ़ना सांप्रदायिक माना जाता है, और अमरीका में किसी कालेज में सबको गीता पढ़ाई जा रही है। मैं तकरीबन एक लाख हिंदुस्तानियों को तो जानता ही हूँगा, बहुत कोशिश की कि कोई ऐसा व्यक्ति याद आए जो मुझे इस वजह से सांप्रदायिक मानता हो कि मैंने गीता पढ़ी है। जिन हजारों अमरीकी लोगों को जानता हूँ उनमें से याद करने की कोशिश की कि कितने लोग गीता पढ़े होंगे। चूँकि मैं भारतीय हूँ तो जानकार अमरीकी लोगों में बहुत बड़ी तादाद उन लोगों की है जिनकी भारत में रुचि है। फिर भी ज़िंदा लोगों में से कोई याद न आया जिसने अंग्रेज़ी में भी गीता पढ़ी हो। वैसे नाभिकीय बम के पहले प्रोजेक्ट मैनहाटान प्रोजेक्ट के डिरेक्टर प्रख्यात वैज्ञानिक राबर्ट ओपेनहाइमर ने पहला नाभिकीय धमाका देखकर गीता का श्लोक पढ़ा था। आज अगर इस प्रसंग से कोई गर्वित होता हो तो हमें तो अवसाद ही होता है। चलो, भले लोग कहेंगे कि ऐसी बातों पर क्यों वक्त जाया करते हो। मुसीबत यह है कि जब चारों ओर काली घटाएँ हों और ऐसे लोगों की तादाद बहुत बड़ी हो तो चिंता होती है। एक साथी है, कहता थकता नहीं कि उसके वामपंथी मित्रों को उसने सदा ही सम्मान किया है। पर जब भी कहीं किसी बेवकूफ ने कुछ ऐसा लिखा हो कि जन की बात करने वालो तुमलोग तो ऐसे हो वैसे हो तो तुरंत सबको मेल भेजता है। आउटलुक में किसी स्वघोषित पुलिस अफसर ने सभ्य भाषा में अरुंधती राय को गाली गलौज करते हुए लिखा कि भई तुम तो पुलिस के हर काम को बुरा और आतंकवादियों के हर काम को अच्छा मानती हो इत्यादि। तो जनाब ने तुरंत बटन दबाए और ये लो पढ़ो कौम के रखवालो। आम तौर पर मैं ऐसी ऊल जलूल चीजों को नज़रअंदाज कर देता हूँ, पर बंदे को समझाने के लिए लिखा कि पढ़े लिखे समझदार आदमी हो, वक्त लगा रहे हो और दूसरों का वक्त भी माँग रहे हो, तो तुम्हें पता जरुर होगा कि अरुंधती ने कहाँ यह लिखा है कि पुलिस का 'हर' काम खराब होता है और आतंकवादियों का 'हर' काम भला, तो हमें भी बतला दो तो अरुंधती के प्रति जो ईर्ष्या है उसमें कुंठित उल्लास भी मिल जाएगा। और नहीं मालूम तो भइया अब और मत लिखना। तो भाई साहब दो दिन बाद मेरे दफ्तर में ही हाजिर कि नहीं अरुंधती ने लिखा है कि गुजरात में यह हुआ वह हुआ और नरेंद्र मोदी अभी तक खुला घूम रहा है। तो पूछा कि इसमें गलत क्या लिखा है और जानना चाहा कि पढ़ा लिखा आदमी ऐसा बकवास क्यों करता है। तो भाई वापस उस लाइन पर आ गया कि नहीं हम वामपंथियों का बहुत सम्मान करते हैं। हे भगवान, इन बीमार लोगों का कुछ कल्याण करो। मुसीबत यह कि अपना कोई भगवान है नहीं इसलिए हमारी प्रार्थना भी किसी काम की नहीं।

अच्छी खबर यह कि इस बीच पाकिस्तान से एक मित्र सरमद अब्बासी ने मुंबई की घटनाओं पर गहरा दुःख प्रकट करते हुए और पाकिस्तान की मुख्यधारा से खुद को अलग करते हुए दोस्तों को मेल भेजी है कि पाकिस्तान पर दबाव बढ़े और वहाँ सेना, खुफिया एजेंसियाँ और आतंकवादियों के गठजोड़ ने पंद्रह करोड़ लोगों पर जो कहर बरपा रखा है वह खत्म हो। सरमद ने निजी तौर पर हर हिंदुस्तानी से माफी माँगी है कि बदकिस्मती से वह ऐसे भौगोलिक क्षेत्र में मौजूद है जहाँ आतंकवादी हरकतों को बढ़ावा मिल रहा है।

अब मेरी एक कविता जो हाल में दैनिक भास्कर में आई थी -

कितना गुस्सा होता है


कितने टुकड़ों में कटे आदमी
कि बदला लिया जा सकता है
एक बलात्कार का
एक जलाए घर का
एक बच्चे को अनाथ किए जाने का

कितना गुस्सा होता है आदमी को
आदमी से आदमियत छीने जाने के खिलाफ

यह ग़ैरज़रुरी सवाल सोचना ज़रुरी है
शामिल किया जाना चाहिए इस सवाल को
उपनिषदों या हदीसों में
धर्मगुरुओं ने युद्ध सरदारों के हाथ
मौत के मंत्र दिए या नहीं दिए कौन जानता है
यह लाजिमी है कि दिया जाना चाहिए
कोई बहीखाता जिसमें रखा जाए हिसाब मौतों के लेनदेन का

आइए कि ऐसा धर्म गढ़ें जिसमें
पहली बात यही हो कि
मौत बलात्कार आदि के सूत्र और समीकरण
सीख जाए आदमी
कितने बच्चे और हों सन्न
कितनी औरतें हों चीखतीं

अगली बार गुजरते हुए बाज़ार से कैलकुलेटर में
हिसाब लगाएँ कि आज फिर कैसे मरना है।
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और आखिर में सबको नया साल मुबारक।

13 Comments:

Blogger azdak said...

आपको भी हो, महाराज..

11:20 AM, December 28, 2008  
Anonymous Anonymous said...

साल मुबारक लाल्टू

12:48 PM, December 28, 2008  
Blogger संगीता पुरी said...

साल 2009 बहुत बहुत मुबारक हो आपको भी।

1:24 PM, December 28, 2008  
Blogger निर्मला कपिला said...

aapko bhe naya saal mubarak

2:18 PM, December 28, 2008  
Blogger अमिताभ मीत said...

नया साल आप को भी मुबारक हो !!

4:56 PM, December 28, 2008  
Blogger मोहन वशिष्‍ठ said...

आपको भी नववर्ष के नव प्रकाश का आगमन मुबारक हो जी

6:53 PM, December 28, 2008  
Anonymous Anonymous said...

कविता ने वाकई झकझोर कर रख दिया.
कृपया ब्लॉग पर एंट्री थोड़ा कम अंतराल पर किया कीजिये. यदि हो सके तो अपने पाकिस्तानी मित्र की रचना जिसका आपने ज़िक्र किया है, वह पढ़वाइये.

नव वर्ष की शुभकामनायें :)

9:12 PM, December 28, 2008  
Blogger लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

नया साल 2009 मुबारक।

10:18 PM, December 28, 2008  
Blogger ravindra vyas said...

aapko bhi naya saal ki shubhkamnayen!

5:28 PM, December 30, 2008  
Anonymous Anonymous said...

नया साल मुबारक लाल्‍टू जी

5:23 PM, January 06, 2009  
Blogger प्रदीप कांत said...

कितना गुस्सा होता है आदमी को
आदमी से आदमियत छीने जाने के खिलाफ

Sahi sawal hai laltooji

3:34 PM, January 10, 2009  
Blogger Bahadur Patel said...

bahut achchha laga aapke blog par. pahali bar aaya hoon.
aapko bhi nav varsh ki shubh kamanayen.

4:52 PM, January 11, 2009  
Blogger शिरीष कुमार मौर्य said...

http://anunaad.blogspot.com/2009/01/blog-post_17.html

kripya is link ko kholein !

SHIRISH/ NAINITAAL

12:40 PM, February 01, 2009  

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