Sunday, February 03, 2019

वे एक नई कला के झंडाबरदार हैं


बच्चों सा खेल

 
तुमने देखा?
 
उन्होंने तोड़ डाले खिड़कियों के काँच
 
जैसे बच्चों सा खेल खेल रहे हों
 
वे एक नई कला के झंडाबरदार हैं
 
सारे सुंदर को चुनौती दे रहे हैं
 
गर्व से शैतान का कलमा पढ़ रहे हैं


 
उनकी भी धरती है,
 
उनका अपना आस्मां है
 
सृजन के अपने पैमाने हैं
 
ज़हनी सुकून के शिखर पर होते हैं
 
जब किसी का कत्ल करते हैं
 
या कहीं आग लगा देते हैं


 
बड़े लोग समझाते हैं कि रुक जाओ
 
सब कुछ तबाह मत करो
 
ऐसा कहते हुए कुछ लोग उनके साथ हो लेते हैं
 
पता नहीं चलता कि कब किस ने पाला बदल लिया है


 
टूटे काँचों को
 
समझाया जाता है
 
विकास, परंपरा, इतिहास जैसे शब्दों से
 
इसी बीच कुछ और कत्ल हो जाते हैं
 
कुछ और उनके साथ हो जाते हैं
 
दिव्य-गान सा कुछ गूँजता रहता है


तुमने देखा?         - (अदहन -2018)

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