नहीं
नहीं
बनना मुझे ऐसी नदी
जिसे
पिघलती मोम के
प्रकाश
के घेरे में घर चाहिए
शब्द
जीवन से बड़ा है यह
ग़लतफहमी
जिनको हो
उनकी
ओर होगी पीठ
रहूँ
भले ही धूलि सा
जीवन
ही कविता होगी
मेरी।
('एक झील थी बर्फ की' में संकलित)
पहली कविता
जीवन।
लंबी कविता
जीवन।
छोटी कविता
छोटी कविता
जीवन।
मुक्तछंद कविता
मुक्तछंद कविता
जीवन।
छंदबद्ध कविता
छंदबद्ध कविता
जीवन।
आखिरी कविता
जीवन।
(रविवार डॉट कॉम - 2010)
1 comment:
जीवन - एक पूरी कवित
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