1995 में
जर्मन दोस्त को लिखा ख़त
गुटेन टाग! मिखाएल, पचास साल बाद ऐसा सपना होगा कि मैं कंप्यूटर पर कविता पढ़ रहा हूँ पचास साल बाद धरती रोशनी के धागों का महाजाल होगी आवाज़ें धरती को घेरे होंगी हम जादुई बटन दबाकर बचपन में लौटेंगे याद करेंगे कि कभी ईमेल नहीं थी और लफ्ज़ों का इंतज़ार होता था कि लफ्ज़ बादल थे हवा में हल्के-हल्के उड़ते थे पचास साल बाद बच्चे चमकते परदों पर दो दूनी चार सीखेंगे हजार साल बाद लोग कंप्यूटर पर भरपेट खाएँगे सूचना-तंत्र के अवधूत बन भूख के साथ जिएँगे । - (1995, हंस, 2018)
No comments:
Post a Comment