tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post114295131458205184..comments2024-02-21T21:44:01.379+05:30Comments on आइए हाथ उठाएँ हम भी: एकदिन अनुदैर्ध्य ही सही, अनुत्क्रमणीय रुप सेलाल्टूhttp://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1143148734954209932006-03-24T02:48:00.000+05:302006-03-24T02:48:00.000+05:30देर से टीका करने के लिए माफी चाहता हूँ | सबसे पहले...देर से टीका करने के लिए माफी चाहता हूँ | सबसे पहले आपको धन्यवाद कि आपने एक गंभीर विषय पर अपने विचार प्रकट करना शुरू किया है | रूसी पुस्तकों को मैने भी बहुत पढा है | "रोचक बीजगणित" के बहुत से प्रश्न अब भी मन ही मन आनन्द देते हैं | <BR/><BR/>आपने विज्ञान-शिक्षण के सन्दर्भ में पारिभाषिक शब्दावली का जो प्रश्न उठाया है, बहुत ही महत्वपूर्ण है | मेरा खयाल है कि भारतीय विद्यार्थियों के लिये अंगरेजी की शब्दावली कहीं अधिक समस्यामूलक है | ऐसे उदाहरण दिये जा सकते हैं जहाँ हिन्दी शब्दावली निहायत ही आसान है : एम्फिबियन-उभयचर , मम्मल- स्तनपोषी/स्तनजीवी , इन्सुलेटर-कुचालक आदि-आदि | अंगरेजी में भी प्रयुक्त पारिभाषिक शब्दावली पर ग्रीक, लैटिन आदि का जबरजस्त प्रभाव है | होता यह है कि विज्ञान पढते-पढते आप ग्रीक भी पढ रहे होते हैं | "बायोलोजी" का अर्थ बताते समय शिक्षक (और पुस्तकें) हमे यह सीखाती हैं कि ग्रीक में बायो का अर्थ यह है और लोगस का यह | जबकि "जीवविज्ञान", "वनस्पतिशास्त्र" आदि का अर्थ किसी को बताने की आवश्यकता नहीं पडती | ऐसे ही हजारों "अंगरेजी" के पारिभाषिक शब्द होंगे जो दिमाग पर कोई "पिक्चर" नहीं बनाते और हम उनसे जुडी हुई वैज्ञानिक परिकल्पना से ही उनको जानते हैं |<BR/><BR/>भारत में आम जनता में वैज्ञानिक साक्षरता बढ रही है ; एक बार प्रचलन में आ जाने के बाद कठिन से कठिन शब्द भी आसान लगते हैं |<BR/><BR/>इसका एक और पहलू यह है कि पारिभाषिक शब्द , चाहे वे हिन्दी के हों या अंगरेजी के, अपने-आप में पूरी बात (फेनामेनन्) कहने की क्षमता नहीं रखते | यदि ऐसा होता तो न तो परिभाषा की जरूरत पडती और न ही मोटी -मोटी विज्ञान की पुस्तकों की | लोग शब्द रट लेते और वैज्ञानिक बन जाते |अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1142982830246816992006-03-22T04:43:00.000+05:302006-03-22T04:43:00.000+05:30हिंदी में स्कैनिंग के बाद वर्ड प्रोसेसिंग का कोई त...<I>हिंदी में स्कैनिंग के बाद वर्ड प्रोसेसिंग का कोई तरीका है क्या?</I><BR/><BR/>फ़िलहाल तो नहीं पर इस पर काम चल रहा है।<BR/><BR/>आठवीं कक्षा में हिन्दी के लिए एक विज्ञान सम्बन्धी खोजों के बारे में पुस्तक भी थी। उस पर मेरी शिक्षिका ने कहा था कि ये मैं नहीं पढ़ाने वाली, वैसे भी हिन्दी की टीचरों की साइंस पुअर होती है। <BR/><BR/>ये बात खूब खली। किताब विज्ञान पर थी भी नहीं, वैज्ञानिकों और उनकी खोजों पर थी। जब जनता जनार्दन दोहे और ललित निबन्ध पढ़ाने में ही सन्तुष्ट है तो हिन्दी पढ़ा ही क्यों रहे हो।आलोकhttps://www.blogger.com/profile/03688535050126301425noreply@blogger.com