tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post113246641326393485..comments2024-02-21T21:44:01.379+05:30Comments on आइए हाथ उठाएँ हम भी: पिछले चिट्ठे से आगे - २लाल्टूhttp://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1132550291579046752005-11-21T10:48:00.000+05:302005-11-21T10:48:00.000+05:30लाल्टू जी - यह तो आसान है। किसी शायर के शब्दों मे ...लाल्टू जी - यह तो आसान है। किसी शायर के शब्दों मे - <BR/><BR/>हड्डियाँ अपने बुजर्गों की तेरी खाक में हैं<BR/>घर जो छोड़ा है तो छांव बिछाएं कहाँ<BR/>ऐ वतन तुछ से मुंह मोड़ के<BR/>जाएं भी तो जाएं कहाँ<BR/><BR/>(कुछ शब्दों का हेर फेर हो सक्ता है किसी को उपर की पंक्तियाँ ठीक से पता हो तो जरुर लिखें)मिर्ची सेठhttps://www.blogger.com/profile/16040787652013263782noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-18449440.post-1132498814373361662005-11-20T20:30:00.000+05:302005-11-20T20:30:00.000+05:30आपने बहुत गंभीर विषय के उपर अपनी लेखनी उठायी है जि...आपने बहुत गंभीर विषय के उपर अपनी लेखनी उठायी है जिससे हिन्दी चिठ्ठाकारी को एक नया आयाम मिला है | मैं आपके लेख बहुत ध्यान से पढता हूँ परन्तु मुझे इस बात से काफी दिक्कत हो रही है कि अक्सर आपके अपने विचार दूसरों के विचारों मे अनायास मिश्रित ( विलयित ) हो जा रहें है | आशा करता हूँ कि आप इस बिन्दु पर सचेत रहेंगे |अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com